आवाज़ ए हिमाचल
मुंबई, 5 मई। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए बुधवार को अपनी नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत से बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत करने की घोषणा की।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आरबीआई मुख्यालय पर इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि दीर्घकालीन वृद्धि दर के हित में मुद्रास्फीति को काबू में रखना जरूरी है।
उन्होंने वर्तमान आंतरिक और बाहरी परिदृश्यों को चुनौतीपूर्ण बताते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर अंकुश रखने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने की नीति के प्रति प्रतिबद्ध है। रेपो रेट में बढ़ोतरी कमोडिटीज और वित्तीय बाजारों में जोखिम और बढ़ती अस्थिरता के कारण की गई है। इसी के साथ बैंकों की ओर से लोन पर ब्याज दर बढ़ाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। रेपो रेट बढऩे का मतलब यह हुआ कि आने वाले दिनों में आपके लोन की ईएमआई में इजाफा हो सकता है।
मतलब अब सस्ते लोन का दौर खत्म हो गया है। आपको बता दें कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार 11 वीं बार कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर कायम रखा था। भारत में आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट पर कैंची चली थी,जो कोरोना की पहली लहर और लॉकडाउन का दौर था।
गौर हो कि रेपो रेट कर्ज की वह दर होती है, जिस पर बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से उधारी लेते हैं। इससे बैंक के फंड की लागत बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप होम लोन, कार लोन और पर्सलन लोन जैसे कर्ज की दरों में बैंक इजाफा करते हैं। दूसरी तरफ, लोगों से फंड जुटाने के लिए बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे प्रोडक्ट की ब्याज दरों में इजाफा करते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगर आप एफडी करवाने की योजना बना रहे हैं, तो अभी थोड़ा इंतजार कर लें। निकट भविष्य में बेहतर ब्याज दर बैंक ऑफर कर सकते हैं।