आवाज़ ए हिमाचल
जीडी शर्मा, राजगढ़
22 फरवरी। कामयाबी की दास्तां एक ऐसे 34 साल के शख्स की है, जिसने 10 साल तक किताबों को नहीं छुआ। यही नहीं, दसवीं के बाद शास्त्री व आचार्य की पढ़ाई भी घर पर रहकर निजी तौर पर की। अब 34 साल की उम्र में संस्कृत विषय में जेआरएफ (Junior Research Fellowship) की परीक्षा उत्तीर्ण कर शानदार मिसाल कायम की है।
सिरमौर के पच्छाद उपमंडल की वासनी पंचायत के पाब गांव में रतन दत्त शर्मा व मगनो देवी के घर जन्में सुभाष ने जीवन में कभी हार नहीं मानी।
आखिर सुभाष ने 10 साल तक पढ़ाई क्यों नहीं की?
दरअसल, पिता एक गंभीर बीमारी का सामना कर रहे हैं और पिता की तीमारदारी में सुभाष को पता ही नहीं चला कि कितने बरस गुजर चुके हैं। 2020 में नेट (NET) की परीक्षा के बारे में सुना। पहली ही कोशिश में परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। इस साल दूसरे प्रयास में जेआरएफ की परीक्षा को उत्तीर्ण कर हर महीने वजीफे के हकदार बन गए हैं। सुभाष ने घर का गुजर-बसर करने के लिए बीते 10 सालों में एक ज्योतिष के रूप में भी कार्य किया।
आपको बता दें कि सुभाष ने शास्त्री के पद पर कमीशन भी पास किया हुआ है, लिहाजा इस पद पर जल्द ही नियुक्ति भी मिल जाएगी। अब उनके सामने दो विकल्प हैं। पहला ये कि शास्त्री के पद पर कैरियर शुरू कर दिया जाए, या फिर संस्कृत विषय में पीएचडी की उपाधि ली जाए।
सुभाष ने फिलहाल शास्त्री की जाॅब व पीएचडी के विकल्पों पर अंतिम फैसला नहीं लिया है। सुभाष ने कहा कि दसवीं की पढ़ाई के बाद शास्त्री व आचार्य की शिक्षा प्राइवेट तौर पर ही हासिल की थी। उनका कहना था कि नेट व जेआरएफ की परीक्षाओं के बारे में पता तक नहीं था, लेकिन जब कोशिश शुरू की तो सफलता भी मिली है।
सुभाष का ये भी कहना है कि उन्हें पीएचडी में भी दाखिला मिल गया है। लाजमी तौर पर ये सफलता की कहानी उन लोगों के लिए बड़ा सबक है, जो जीवन में बढ़ती उम्र को हताशा का कारण बना लेते हैं।