आवाज़ ए हिमाचल
नादौन, हमीरपुर। क्रान्तिकारी साहित्यकार यशपाल के गाँव रंघाड़ भूम्पल में अश्वत्थपूजन एवं भंडारे के आयोजन पर पधारे स्वामी नित्यानन्द गिरि ने उपस्थित लोगों को अपने उद्बोधन में बताया कि देवभूमि हिमाचल, जो कि अपनी सरलता, सौम्यता के कारण प्रसिद्ध है, आज अनेक प्रकार की बुराइयों की चपेट में आ रही है। इसके लिए बच्चे की प्रथम गुरु माता को सजग रहने की परम आवश्यकता है। इसके साथ साथ पिता का दायित्व भी माँ से कम नहीं है। अब माता-पिता को सबसे पहले आत्म-सुधार करना होगा, इसी में भावी सन्ततियों का आधार छिपा है। नशीली वस्तुओं का सेवन, हिंसा, व्यभिचार आदि दोषों का कारण मोबाइल संस्कृति तथा दूरदर्शन भी है है। बच्चों में अच्छाई-बुराई को समझने का विवेक केवल माता-पिता स्वच्छ परिवेश से ही दे सकते हैं। स्वामी ने गाँव में गीता-संस्कार की शिक्षा देने के लिए लोगों को जागरूक, प्रेरित और प्रोत्साहित किया। इसके साथ ही कुछ बुद्धिजीवियों को समय, स्थान तथा दायित्व भी सौंपा। तदुपरान्त लोगों ने विशाल भंडारे का मिलकर प्रसाद ग्रहण किया। इस उपलक्ष्य पर प्रो.रतन चंद शर्मा सहित गांव के बुद्धिजीवी वर्ग तथा मौनी बाबा कुटिया से जुड़े हुए समस्त भक्तजन विशेष रूप से उपस्थित रहे।