- एनआरएलएम के अंतर्गत सभी महिलाएं मिशन धनवंतरी के अंतर्गत कर रही है औषधीय पौधों की खेती
- तुलसी जैसे औषधीय गुणों से भरपूर पौधों की कर रही है खेती
- बासा पंचायत में कार्य कर रही महिलाओं ने 200 लीटर तुलसी का निकाला अर्क
आवाज़ ए हिमाचल
स्वर्ण राणा, नूरपुर। नूरपुर विकास खंड अधिकारी सुषमा धीमान ने आज जानकारी देते हुए कहा कि महिलाएं स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत काम कर आत्मनिर्भर बन रही है। एनआरएलएम के अंतर्गत सभी महिलाएं मिशन धनवंतरी के अंतर्गत तुलसी जैसे औषधीय पौधों की खेती कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि हमारे क्षेत्र के आसपास इस समय आवारा पशु व बंदरों ने किसानों को बहुत परेशान कर रखा है जिस कारण जिला प्रशासन के आदेशानुसार हम एक अलग खेती के लिए दो विभिन्न योजनाएं जिसमें एक मनरेगा के तहत तथा दूसरी NRLM के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं जिससे किसानों को आवारा पशुओं से निजात मिल सके व उनकी आय भी सृजित की जा सके।उन्होंने बताया कि हमने अलग-अलग पंचायत में यह ट्रायल किए हैं और इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा की बासा पंचायत में कार्य कर रही महिला ने 200 लीटर तुलसी का अर्क निकाला है।इसके अलावा अलग-अलग पंचायतों में 100 लीटर ,50 लीटर तुलसी का अर्क निकाला गया है! जिससे साबुन इत्यादि नेचुरल प्रोडक्ट बनाए जाते हैं जो पूरी तरह से केमिकल मुक्त हैं।सुषमा धीमान ने बताया की इसके अलावा अन्य फसलों में भी घन जीवा अमृत रामबाण का कार्य कर रहा है तथा इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिली है।
कुलाहण पंचायत की महिला नीतू देवी ने बताया कि हमें इसके लिए बाकायदा पालमपुर में ट्रेनिंग दी गई है कि आर्गेनिक खाद व फसल कैसे तैयार की जा सकती है।अब हम स्वयं ही सब कुछ तैयार कर रही है।उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि ऑर्गेनिक खाद बनाने के लिए गाय का गोबर , मूत्र ,गुड़, बेसन मिलाकर छाया में सुखाकर तैयार किया जाता है तथा इसका रिजल्ट भी बहुत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि यूरिया खाद के इस्तेमाल के बदले इसे सभी फसलों में इस्तेमाल कर सकते हैं।
वही अनोह पंचायत की पूनम ने बताया कि हमने तुलसी के साबुन का स्टॉल लगाया है! उन्होंने बताया कि यह साबुन हमने अपने घर पर बनाया है तथा यह पूरी तरह से केमिकल रहित है! इसमें तुलसी जैल, एलोवेरा जैल के साथ-साथ गुलाब जल मिलाया है! उन्होंने कहा कि यह साबुन बिना रसायनों के है तथा त्वचा रोग में बहुत ही लाभदायक है!इसके अलावा पूरी तरह से प्राकृतिक खाद घन जीवा अमृत से भी और भी फसलें उगाई है जो पूरी तरह से प्राकृतिक पद्धति पर निर्भर करती है।