आवाज़ ए हिमाचल
17 फरवरी।सैंज उपतहसील की गाड़ापारली पंचायत के मझाण गांव के चार परिवारों को बुधवार की रात सबसे भयानक रात बनकर आई। गांव के चुनी लाल, संजीव कुमार, धर्मपाल व कृष्ण चंद का ढाई मंजिला मकान जल गया। रात करीब 2:00 बजे आग लग गई। जानकारी के अनुसार इस मकान में चुनी लाल, संजीव कुमार, धर्मपाल व कृष्ण चंद के चार परिवार रहते थे। लेकिन बुधवार को चारों परिवारों के अधिकांश सदस्य किसी काम से कुल्लू गए थे और देरी होने की वजह से रात को घर नहीं पहुंच पाए। घर में बच्चों के साथ रह रही अकेली महिला उर्मिला देवी को रात करीब 2:00 बजे घर के अंदर कुछ आवाजें सुनाई देने लगी और जागने पर पाया कि घर की छत में आग की लपटें उठ रही हैं।
ऐसे में महिला ने परिवार के सभी बच्चों को बारी बारी कर बाहर निकाला और घर की धरातल मंजिल में रखे पशुओं को जैसे-तैसे बाहर निकालकर दूर भगाया। एकांत स्थान पर मकान होने से महिला ने काफी जोर जोर से आवाज लगाकर गांव के अन्य लोगों को जगाया। लेकिन तब तक आग ने मकान को चारों तरफ से घेर लिया था और घर से सामान निकालने या आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था। हालांकि ग्रामीण आग बुझाने के लिए कुछ कोशिश भी करते लेकिन पेयजल सप्लाई में पानी ही पर्याप्त नहीं था। ऐसे में सभी ग्रामीण आग के इस तांडव को सिर्फ टकटकी लगाकर देखते रहे।इस मकान में करीब 10 कमरे बताए जा रहे हैं, जिसमें किराना की दो दुकानें भी थी। आग से कुछ न बचाए जाने पर करीब 40 से 45 लाख के करीब नुकसान का अंदेशा लगाया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर गांव में मोबाइल नेटवर्क या सड़क सुविधा होती तो शायद यह घर राख होने से बचा लिया जाता। लेकिन किसी भी तरह की सुविधा न होने से ग्रामीण लाचार थे और पंचायत प्रधान व प्रशासन को सूचना देने के लिए भी सुबह का इंतजार करके एक नेटवर्क तक आने के लिए भी एक घंटा पैदल सफ़र करना पड़ा।
गौर कि मझाण निवासी लंबे अरसे से मोबाइल टावर के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। वहीं सड़क सुविधा के लिए भी अनेकों बार आवाज उठा चुके हैं। लेकिन इसे ग्रामीणों का दुर्भाग्य कहें या सत्तासीन सरकारों की उदासीनता कि आजादी के सात दशक बीतने के बावजूद भी यहां के लोग गुलामी जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं।