आवाज़ ए हिमाचल
मकलोडगंज। हिमाचल में पर्यटन का केंद्र और पौराणिक महत्व की डल झील का पांच करोड़ रुपए की लागत से विकास एवं सौंदर्यीकरण किया जाएगा। सूखी डल झील की सूरत सुधारने के लिए सिंचाई विभाग ने केंद्र सरकार को पांच करोड़ प्रस्ताव भेजा है, जिसे मंजूरी मिलने का इंतजार है। प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद वैज्ञानिक तरीके से डल झील के सुराख को भरने की योजना पर काम किया जाएगा। जिसमें जियो टैक्सटाईल, फाईबर फिल्टर सिलिगं, अर्थ सिलिगं व कंकरीट से कार्य किए जाने की योजना बनाई गई है। इसमें आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों का भी सहयोग लिया जा रहा है, जिससे झील का संरक्षण किया जा सकें। आस्था का केंद्र एवं छोटे मणिमहेश के रूप में जाने वाली जाने वाली डल झील का वैभव को लौटाने के लिए जलशक्ति विभाग ने अब कमर कस ली है।
हालांकि इससे पूर्व भी प्रशासन ने इसको लेकर कई प्रयास किए, लेकिन कोई भी प्रयास आज दिन तक सफल नहीं हो पाया। अब आईपीएच विभाग ने डल झील के रिसाव को रोकने और उसके सुंदरीकरण के लिए फिर से योजना बनाई है।इन दिनों की योजनाओं पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च करने के प्रस्ताव भी तैयार किया गया हैं, जिन्हें स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। नड्डी के स्थानीय लोगो ने बताया कि झील में साल भर पानी रहता था। कुछ साल पहले पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने झील को गहरा करने और गाद निकालने के लिए जेसीबी से इसके आधार को खोद दिया था। तब से, झील ने पानी बनाए रखने की अपनी क्षमता खो दी थी और अब इसकी सूरत और ज्यादा खराब हो गई है।
जलशक्ति विभाग धर्मशाला के अधिशाषी अभियंता संदीप चौधरी ने कहा कि झील को बचाने के लिए आईपीएच विभाग कि ओर से डीसी कांगड़ा और केंद्र को पांच करोड़ रुपए का प्रस्ताव हजी गया है, जिसे मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहा है। जलशक्ति विभाग धर्मशाला के अधिशाषी अभियंता संदीप चौधरी ने कहा कि झील के सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव भेजा गया है। प्रोपोजल में बताई गई गई पांच करोड़ रुपए की लागत अस्थायी है। झील के तल पर रिसाव को रोकने का प्रस्ताव है और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना है।