आवाज़ ए हिमाचल
18 मार्च। मंडी संसदीय क्षेत्र के 69 साल के इतिहास में दूसरी बार उपचुनाव होगा। किसी राजनेता के निधन से पहली बार सीट खाली हुई है। संसदीय क्षेत्र का यह 19वां चुनाव होगा। 17 बार यहां आम चुनाव हुए हैं। पहली बार यहां 2013 में उपचुनाव हुआ था। प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने लोकसभा सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया था। वह 2009 के आम चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। केंद्र की डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में पहले इस्पात मंत्री व बाद में सूक्ष्म,लघु और मध्यम मंत्रालय का जिम्मा मिला था। कौल सिंह ठाकुर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वीरभद्र सिंह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे।
उनके नेतृत्व में चुनाव हुए थे और कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी। वीरभद्र सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने यहां से पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह को उपचुनाव में उतारा था। वह 2004 से 2009 तक इस क्षेत्र की सांसद रही थी। 2009 में हुए लोकसभा के आम चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र से महेश्वर सिंह भाजपा प्रत्याशी थे। उपचुनाव में भाजपा ने उन्हें मैदान में उतारने के बजाय सराज हलके के विधायक एवं वर्तमान में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मैदान में उतारा था।प्रदेश व केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने का फायदा प्रतिभा सिंह को मिला था।
एकतरफा मुकाबले में जयराम ठाकुर की करीब 1.36लाख मतों से पराजय हुई थी। प्रतिभा सिंह को 3,53,492 (60.71) व जयराम ठाकुर को 2,16,765 (37.23) प्रतिशत मत मिले थे। दो अन्य प्रत्याशियों 2.06 फीसद मत मिले थे। अब रामस्वरूप शर्मा के निधन से यहां उपचुनाव होगा। 2013 के मुकाबले अब स्थिति भिन्न है। केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार है। यह संसदीय क्षेत्र मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का अपना गृह क्षेत्र है। करीब पौने दो साल पहले हुए लोकसभा के आम चुनाव में भाजपा ने सभी 17 हलकों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़त के साथ चुनाव जीता था।