आवाज़ ए हिमाचल
17 मार्च। प्याज लहसुन से न बनी यह मंडियाली धाम ऐसी की एक बार खा कर ही मन तृप्त हो जाए। छह क्विंटल चावल और सात प्रकार के भोग बनाने के लिए दिन-रात डटी 32 लोगों की टीम… देवी-देवताओं के नाम पर तैयार भोग और हर रोज भूमि पर बैठकर हरी पत्तल में भोजन ग्रहण करते हजारों मानस…। यह दृश्य अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मंडी में हर रोज देवलुओं के लिए बनाई जाने वाली मंडयाली धाम की विशाल रसोई का है। यहां हर रोज छह हजार लोगों के लिए मंडयाली धाम तैयार की जा रही है। विशेष बात यह है कि छह हजार लोगों के लिए धाम तैयार करने में जितनी कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है, उतनी की मेहनत छह हजार लोगों को खाना खिलाने के लिए करनी पड़ती है। शिवरात्रि महोत्सव में हर रोज की धाम का खर्च डेढ़ लाख रुपए के लगभग बैठता है। वर्र्षों से चली आ रही इस रीत को छोटी काशी के कुछ दानी परिवार मंडी जिला प्रशासन के सहयोग से निभाते आ रहे हैं। शिवरात्रि महोत्सव के सातों दिन धाम तैयार करवाई जाती है।
मंडयाली धाम को बिना प्याज और लहसुन के बनाया जाता है। शिवरात्रि की धाम बनाने के लिए शाम छह बजे से 32 लोगों की टीम अपना काम शुरू कर देती है। रात दो बजे तक पहले तलाई का काम पूरा किया जाता है। इसके बाद सुबह चार बजे से धाम पकाने की शुरुआत होती है और साढे़ नौ बजे तक पूरी धाम तैयार कर दी जाती है। इसके बाद देवताओं को भोग लगाने के बाद 10 बजे धाम लोगों को खिलाने की प्रकिया शुरू हो जाती है, जो कि तीन बजे तक चलती है। धाम पकाने के लिए बडे़-बडे़ पतीलों का प्रयोग किया जाता है। तीन बजे के बाद धाम बनाने व खिलाने वाली टीम कुछ देर के लिए आराम करती है। इस टीम के हैड रसोइये पंडित नरेश शर्मा बताते हैं कि इन दिनों कुछ ही घंटों की नींद उन्हें मिल रही है। उनके साथ जितेंद्र शर्मा, लुदरमणि, दुनी चंद, महेंद्र और मधुकर के अलावा 26 और लोग काम करते हैं। सब को कुछ ही घंटों का आराम मिलता है।