भौतिक, दैविक व आध्यात्मिक शांति हेतु गीतापाठ का वाचन व श्रवण परमावश्यक: प्रो. रत्नचंद शर्मा

Spread the love

आवाज़ ए हिमाचल 

बबलू गोस्वामी, नादौन। भारत सहित संपूर्ण विश्व में हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रत्येक मंदिर घर परिवार में भगवान श्री कृष्णा का जन्मोत्सव रात्रि जागरण के साथ मनाया जाता है। इसी क्रम में खण्ड नादौन में पूज्य मोनी बाबा कुटिया फतेहपुर में भी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम और पूर्ण उत्साह के साथ मनाया गया।

इस अवसर पर कुटिया में श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीकृष्ण का षोडशोपचारी पूजन करने के उपरांत 18 अध्यायों का प्रो. रतन चंद शर्मा की अगवाई में सस्वर और शुद्ध पाठन किया गया। इस शुभ अवसर पर राप्रापा जंगलू, राप्रापा धनपुर व रंघाड़ गांव के आसपास रहने वाले प्रवासी बच्चों ने गीता के 12 वें, 15 वें और 17 वें अध्याय को कंठस्थ सुनाया। इस पर प्रसन्न होकर हमीरपुर से आए हुए गीता साधक कर्नल चेत राम चौहान ने सभी बच्चों को पाठ्यसामग्री हेतु पारितोषिक के रूप में पूज्य मौनी बाबा कुटिया की ओर से राशि प्रदान की।

 

श्रीमद्भगवद्गीता के व्यक्तिगत पाठ और सामूहिक पाठ के महत्व को प्रतिपादित करते हुए प्रो. रत्नचंद शर्मा ने कहा कि गीतापाठ का वाचन करने या सुनने से मनुष्यों के आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधिदैविक दुखों का नाश होता है। दुखों की निवृत्ति से सुख और शांति बढ़ती है, अतः नित्य गीतापाठ का वाचन और श्रवण करना चाहिए।

इस अवसर पर सुदेश कुमार शर्मा निकेश कुमार शर्मा, नरेश मलोटिया, संजीव कुमार, देवराज, अनिल कुमार, पठानिया, सतीश कुमार सहित अनेक गणमान्य सज्जन तथा भारी जनसमूह उपस्थित रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *