भारत को विश्व गुरू बनाने हेतु अगले पांच वर्ष दिखे संघ कार्य की पराकाष्ठा: डॉ. मोहन राव भागवत

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आवाज़ ए हिमाचल

        शांति गौतम ( बीबीएन )

20 दिसंबर । कांगड़ा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने अगले पांच वर्षों में स्वयंसेवकों से संघ नित्य शाखा की साधना, सेवा के लिए समय बढ़ाने, नए लोगों को जोड़ने और शाखा बढ़ाते हुए अपने आचरण को ओर बेहतर का आह्वान किया है। उन्होंने कांगड़ा नगर स्थित राजकीय पॉलेटेक्निक संस्थान के सभागार में आयोजित प्रांत स्तरीय के कांगड़ा नगर के स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम में ये आह्वान किया। उन्होंने कहा वर्तमान में संघ के प्रति समाज में सर्वत्र उत्सुकता है। स्वार्थ से विरोध करने वाले तो मिल सकते हैं लेकिन मन से संघ का विरोध करने वाला कोई व्यक्ति की नहीं है ऐसे में संघ के कार्य के प्रति वर्तमान में काफी अनुकूलता है। हम अपनी गति बढ़ा भी रहे हैं ओर बढ़ा भी सकते हैं लेकिन अनुकूलता का एक नुकसान भी होता है कि हम शिथिल हो जाते हैं। जिस भारत की पूरे विश्व को आशा है और उस समाज को तैयार करने का हमने जो काम किया था,

और विश्व गुरू का सपना लेकर हम शाखा में आ रहे हैं वैसा देश पूरे समाज को साथ लेकर हमारे परिश्रम के कारण हमारा देश इसी जीवन में विश्व गुरू बन रहा है उसे हम देख सकते हैं। इसके कारण जिन लोगों की स्वार्थ की दुकानें बंद हो रही हैं, वे भी केवल अपना अस्तित्व बचाने के लिए नीचे से नीचा काम करने का तैयार है। इसलिए सजग होकर अपने प्रयत्नों की मात्रा बढ़ानी होगी। जिसमें सबसे पहली जरूरत रोज की शाखा है। उसी के भरोसे में हर परिस्थिति को पार कर धेय की प्राप्ति करेंगें। हम तो मातृभूमि की सेवा में तिल-तिल जलना चाहते हैं। मोह, आकर्षणों को पास लाने वाली आदतों से दूर रहना है। इसलिए हमें अपनी साधना निरंतर जारी रखनी है। क्योंकि अभी हम सबसे बडे़ हैं लेकिन देश में पौने 7 लाख गांव है और केवल 60 हजार स्थानों पर शाखाएं हैं। 6 लाख स्थान बाकी हैं। हम ऑनलाइन भाषण तो सुन सकते हैं लेकिन साधना के लिए तो निरंतर संपर्क रखना होगा। 2025 को संघ के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं।

ऐसे में हमें सघ को 130 करोड़ लोगों को तक पहुंचना है। उन्होंने कहा कि संघ काम करना केवल एक्टिविजम नहीं है संघ की आदतों को जीना पड़ता है। संघ स्वयंसेवकों के जीवन से बढ़ता है। इसलिए ये ध्यान दें कि संघ में तो हम जाते हैं लेकिन हम में संघ आ रहा है या नहीं यानि अनुशासन आ रहा है या नहीं। आने वाले पांच वर्षों में अपने कार्यों को पराकाष्ठा पर ले जाएं तो हम अपनी भारत माता को विश्व गुरू के पद पर आसीन होते इसी देह व जीवन में देख सकेंगे। इससे पूर्व आज सुबह डॉ. मोहन राव भागवत कांगड़ा के प्रसिद्ध बज्रेश्वरी माता के मंदिर भी पहुंचे। इस दौरान मंदिर के मुख्य पुजारियों ने उन्हें इस ऐतिहासिक मंदिर की भी जानकारी दी। इस अवसर पर कांगड़ा नगर व खंड के निर्धारित 175 स्वयंसेवक एकत्रीकरण में शामिल हुए वहीं प्रदेश भर से इस कार्यक्रम में 1208 से अधिक जूम लिंक एप के माध्यम से 25 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने ऑनलाइन भाग लिया। विश्व संवाद केन्द्र, शिमला हि.प्र के प्रक्ता ने यह जानकारी दी।

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