भगवान के स्मरण मात्र से जीवन को सफल बना कर मोक्ष प्राप्त कर सकता है मनुष्य : आर्चाय विनोद   

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आवाज़ ए हिमाचल 

राजगढ़, 6 मई। भगवान के स्मरण एवं दर्शन मात्र से मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पाप भस्म हो जाते हैं और मनुष्य के सभी दुखों का नाश हो जाता है।

यह बात आर्चाय विनोद केशव महाराज ने हलोनीपूल के आंन्नद बाग में चल रहे श्रीमद भागवत महा पुराण यज्ञ में कथा प्रवचन करते हुये कही। उनका कहना था कि धर्म का फल विषय से वैराग्य है। जो लोग जीवन में धर्म का पालन करते हैं उनको अंतिम अवस्था में संसार से वैराग्य हो जाता है। काम, कोध्र व लोभ हमारे जीवन के महाशत्रु हैं इसलिए हमें इनका त्याग कर देना चाहिये।

 

उनका कहना था कि आज पूरा समाज पाश्चात्य सभ्यता की ओर अग्रसर है और हम अपनी अमुल्य सभ्यता एवं संस्कृति को भूलते जा रहे हैं जो की एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और गौ माता के रोम-रोम में देवी देवताओं का वास है, लेकिन आज हम गौ माता की सेवा केवल तब तक करते हैं जब तक वह दूध देती है उसके बाद उसे सड़कों पर भूखा मरने के लिए छोड देते हैं। इसके इलावा आज तो औलाद अपने माता-पिता तक को वृद्व आश्रम में भेज रहे हैं। यह हमारे देश की सनातन सभ्यता व स्मृद्व पारिवारिक पंरपरा पर एक बडा कंलक है।

उनका कहना था कि हमें हमेशा मातृ शक्ति का आदर करना चाहिये, क्योंकि शाश्त्रो में नारी को नारायणी कहा गया है। जिस घर में नारी का सम्मान होता है उस घर में हमेशा देवी देवताओं का वास होता है। उन्होनें भक्तों से अपील की कि वे भागवत कथा सुनकर यहां से एक बुराई जरूर त्याग कर जाएं तभी भागवत श्रवण करना सार्थक सिद्व होगा।

 

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