आवाज़ ए हिमाचल
ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून के कारण आई प्राकृतिक आपदा के समय ब्यास नदी बेसिन पर बंद किए गए उन स्टोन क्रशरों को चलाने की अनुमति दे दी गई है, जिन्होंने औपचारिकताओं को पूरा किया है। सभी औपचारिकता पूरा करने वाले ऐसे स्टोन क्रशरों की संख्या 47 है। इसके अलावा 3 स्टोन क्रशर आवश्यक क्लीयरैंस पूरी करने के बाद चल सकेंगे। यह निर्णय मल्टी सैक्टर एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश पर लिया गया है। यह स्टोन क्रशर बिलासपुर, चम्बा, हमीरपुर, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लूू, लाहौल-स्पीति, मंडी, नूरपुर, शिमला, सोलन, सिरमौर और ऊना में स्थित हैं। उल्लेखनीय है कि ब्यास नदी बेसिन पर 131 स्टोन क्रशर स्थापित हैं, जिनमें से 68 के पास इनके संचालन के लिए जरूरी अनुमति नहीं पाई गई तथा 50 संचालकों के पास ही जरूरी अनुमति पाई गई है। इसके अतिरिक्त 7 क्रशर बाढ़ से प्रभावित पाए गए व 6 में भंडारण से संबंधित तथा अन्य अनियमितताएं पाई गई हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्यास नदी का पर्यावरणीय संतुलन भारी दबाव में है, जिसका वैज्ञानिक अध्ययन करने की आवश्यकता है तथा स्टोन क्रशरों के संचालन के लिए लघु, मध्यम तथा दीर्घावधि उपाय सुझाने पर भी बल दिया गया है।
समिति ने जरूरी अनुमति प्राप्त 50 स्टोन क्रशर को कुछ शर्तों के साथ संचालित करने की अनुमति प्रदान करने की सिफारिश की है, जिसके तहत यह क्रशर सुबह 6 से शाम 6 बजे तक 12 घंटे के लिए संचालित किए जा सकते हैं। हालांकि इनमें से 3 को कुछ औपचारिकता को पूरा करना है।
समिति ने सिफारिश की है कि किसी भी क्रशर पर डीजल सैट का प्रयोग अवैध बनाया जाना चाहिए। भविष्य में सभी स्टोन क्रशरों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की भी सिफारिश की गई है, जिनकी निगरानी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा खनन विभाग के अधिकारी करें। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन स्टोन क्रशर के पास जरूरी अनुमतियां नहीं हैं, उन्हें पहले यह अनुमतियां प्राप्त करनी होंगी, जिसके बाद मामला दर मामला आधार पर उन्हें खोलने पर विचार किया जाए।