सीएम की घोषणा के बाबजूद न घर मिला न जमीन, कोई किराए पर रहने को मजबूर तो कोई दूसरों के घरों में डाले है डेरा
आवाज़ ए हिमाचल
आशीष पटियाल, शाहपुर।
12 जुलाई। शाहपुर के बोह हादसे को कल एक साल हो जाएगा।इस हादसे में एक बच्चे समेत 10 लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई लोग घायल भी हुए थे। आज सरकार, प्रशासन व लोग भले ही इस हादसे को भूल गए हों, लेकिन इस आपदा के प्रभावितों के जख्म आज भी हरे हैं।
हालात यह है कि हादसे के दौरान घटना स्थल का दौरा करने पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा की गई घोषणाएं एक साल बीत जाने के बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई हैं। इस हादसे में अपने घर व सगे सबंधियो को गवां चुके प्रभावितों को आज दिन तक न जमीन अलॉट हो पाई है और न आशियाना बन पाया है। सरकार की नाकामी के चलते आज कोई किराए के कमरे लेकर रह रहा है तो कोई दुसरो के घरों में रह रहे है। सड़क की हालत आज भी अपनी बदहाली पर आंशु बहा रही है। हादसे के दौरान सड़क की हालत ठीक न होने के चलते आपदा प्रबंधन, एनडीआरएफ की टीम को सात से आठ घँटे लग गए थे, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने आज तक उससे कोई सबक नहीं लिया।
बेशक आपदा के बाद मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों और जिला प्रशासन को साथ लेकर घटना स्थल पर पहुंचे थे तथा पीड़ित लोगों को हर संभव मदद का भरोसा दिया था, लेकिन प्रशासन और सरकार की तरफ से अभी तक आपदा प्रभावितों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की गई है। उस समय फौरी राहत के साथ मृतकों के परिजनों को डेथ क्लेम जरूर मिला था। अपने मकान नहीं होने के कारण पीड़ित परिवार अभी भी लोगों के घर में रह रहे हैं। सरकार उनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था करेगी, इसी आस में एक साल भी बीत गया है।
आपदा के कारण प्रकाश चंद, विधि चंद, रिहाडू राम, कमलनाथ, गगन सिंह, करतार सिंह, शीला देवी और संजय आदि आठ परिवारों के लोग बेघर हुए थे। इसके साथ ही विजय कुमार, मनोहर टेलर और विपुल आदि किरायेदार भी प्रभावित हुए थे।
10 लोगों की गई थी जान, दर्जनों हुए थे घायल
जानकारी के अनुसार 12 जुलाई 2021 को बोह घाटी में भारी बारिश के कारण बाढ़ आई थी। इसमें 10 लोगों की जान चली गई थी। दर्जनों लोग घायल भी हो गए थे। मृतकों को मलवे से निकालने के लिए 5 दिन रेस्क्यू चला था। मुख्यमंत्री हादसे के बाद अपने मंत्री सहित सड़क मार्ग से आए थे,लेकिन वापस हेलीकॉप्टर में गए। एक साल में पुनर्वास के नाम पर धरातल कोई काम नहीं हुआ है। सरकार की फाइलों में पुनर्वास के नाम पर जरूर योजनाएं बनी होंगी लेकिन बोह आपदा पीड़ितों का उसका लाभ अभी तक नहीं मिला है।
लोगों के घर में रह रहा मृतिका का परिवार
आपदा पीड़ित करतार चंद ने बताया कि मलबे में दबने से उनकी माता की मौत हो गई थी। उस समय सरकार की ओर से फौरी राहत के साथ डेथ क्लेम मिला था। मुख्यमंत्री ने विस्थापित परिवारों को पुनर्वास का भरोसा दिया था, लेकिन एक साल बाद भी न तो घर बनाने में मदद मिली है और न ही घर के लिए कहीं जमीन मुहैया करवाई गई है। उनका परिवार आज भी लोगों के घर में रह रहा है।
भाई भाभी समेत चली गई थी परिवार के 5 सदस्य की जान
संजय कुमार ने बताया कि उनके भाई भाभी सहित परिवार के पांच लोगों की जान चली गई थी। उन्हें पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं कारवाई गई है। वह अभी अपने गांव के पुराने घर में समय व्यतीत कर रहे हैं। अभी तक सरकार और प्रशासन ने घर बनाने में कोई मदद नहीं की है। जो घर मलबे की चपेट में आया है वह अभी उन्होंने नया ही बनाया था।
किराए के मकान में रह रहा गगन का परिवार
आपदा पीड़ित गगन कुमार ने बताया कि मलबे में उनका पूरा घर आ गया था। अब वह एक साल से किराए के मकान में रह रहे हैं। उस समय सरकार ने फोरी राहत के रूप में मदद की थी। इसके साथ कुछ दानी सज्जनों ने भी मदद की है। घर नहीं होने के कारण वह किराए के मकान में रह रहे हैं।
सड़क की हालत अभी भी नहीं सुधरी
12 जुलाई को हुई त्रासदी के कारण धरकंडी बोह की सड़क भी काफी क्षतिग्रस्त हो गई थी। जिस नाले में भूस्खलन हुआ था, तो उसके नजदीक लगभग आठ घर चपेट में आए थे। भारी बाढ़ के कारण सड़क नाले में तब्दील हो गई थी। विभाग की मशीनरी और एनडीआरएफ की टीम ने लगभग 8 घंटे में सड़क बहाल की थी, लेकिन इस जगह आज तक डंगा व पुली का निर्माण तक नहीं किया गया है। हालात ये हैं कि सड़क एक साल बाद भी नाले में तब्दील हो गई है। बारिश में वाहन एक तरफ ही रुक जाते हैं। शाहपुर से रिडकमार तक तो सड़क की हालत ठीक भी है, लेकिन उससे आगे बोह तक लगभग 6 किलोमीटर का रास्ता आज भी खतरे से खाली नहीं है। लोक निर्माण विभाग मंडल शाहपुर की ओर से भूस्खलन को रोकने के लिए कोई पुख्ता काम नहीं किया है और न ही सड़क की मरम्मत करवाई है।