बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैंसला, शारीरिक सम्बन्ध बनाकर शादी से मुकरना धोखाधड़ी नहीं

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आवाज़ ए हिमाचल
21 दिसंबर। बाम्बे हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैंसला सुनाया है। कोर्ट ने बताया कि अगर लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने के बाद कोई शादी से मना करता है, तो उसे धोखाधड़ी नहीं माना जाता सकता। निचली अदालत की ओर से एक युवक को दोषी ठहराए जाने के फैंसले को पलटते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह तर्क दिया। सूत्रों के अनुसार पालघर के रहने वाले काशीनाथ घरात के खिलाफ गर्लफ्रेंड की शिकायत पर पुलिस ने धारा 376 और 417 के तहत बलात्कार और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। गर्लफ्रेंड का आरोप था कि काशीनाथ ने शादी का वादा कर, उससे शारीरिक संबंध बनाए और फिर विवाह करने से मना कर दिया।

मामले में अतिरिक्त सेशन जज ने काशीनाथ को रेप के आरोप से बरी कर दिया था, लेकिन धोखाधड़ी का दोषी करार दिया था। अदालत ने काशीनाथ को 3 साल तक शादी का वादा कर संबंध बनाने और फिर मुकर जाने के आरोप में एक साल कैद की सजा सुनाई। काशीनाथ ने इस आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की सिंगल बेंच ने उसे धोखाधड़ी के आरोप से भी मुक्त कर दिया। जस्टिस प्रभुदेसाई ने कहा कि तथ्य यह बताते हैं कि महिला और आरोपी के बीच तीन साल का लम्बा फिजिकल रिलेशनशिप चला और दोनों का अफेयर था।

महिला के बयानों से यह साबित नहीं हुआ कि वह किसी तरह के धोखे में रखी गई थी। केस की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने ऐसे मामलों में उच्चतम न्यायालय के फैसलों का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा कि यह साबित होना चाहिए कि महिला के सामने शादी का वादा करते हुए गलत तथ्य रखे गए थे और बाद में वे बातें गलत साबित हुईं। अदालत ने कहा कि दो बातें साबित होनी चाहिए, पहली यह कि गलत जानकारी देकर शादी की बात की गई थी। दूसरी यह कि वादा ही गलत था और उसके बहकावे में आकर ही महिला शारीरिक संबंधों के लिए राजी हो गई थी।

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