हजारों विद्यार्थियों का भविष्य संकट में, 3 मार्च को दोबारा होगी मामले की सुनवाई
आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 19 फरवरी। बैचलर इन होटल मैनेजमेंट (बीएचएम) की डिग्री करवाने वाले निजी कॉलेजों पर निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने शिकंजा कस दिया है। इन कॉलेजों की मान्यता, फीस स्ट्रक्चर, डिग्री अवधि की जांच के लिए कमेटियां गठित कर दी गई हैं। तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालय हमीरपुर और यूजीसी से भी आयोग ने स्पष्टीकरण मांगा है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) का लिखित में जवाब आने के बाद आयोग इस बाबत आगामी कार्रवाई करेगा।
निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने शिकायतों के आधार पर हुई प्रारंभिक जांच में 4 वर्ष की डिग्री तीन वर्ष में कराने का मामला पकड़ा है। हिमाचल विश्वविद्यालय सहित 4 निजी कॉलेजों में बीएचएम की डिग्री को 4 वर्ष की जगह 3 वर्ष तक ही कराया जा रहा है। यूजीसी ने वर्ष 2014 में जारी अधिसूचना के तहत बीएचएम की डिग्री की अवधि को 4 वर्ष तय किया है।
इसके बावजूद हिमाचल विश्वविद्यालय ने वर्ष 2020 में दोबारा शुरू की गई बीएचएम की डिग्री को 3 वर्ष का ही रखा। इसके अलावा 4 निजी कॉलेजों में भी तीन वर्ष की डिग्री दी जा रही है। विनियामक आयोग ने इन 3 वर्ष की डिग्रियों को अवैध करार दिया है। ऐसे में वर्ष 2015 से इस डिग्री को करने वाले हजारों विद्यार्थियों का भविष्य संकट में पड़ गया है।
हालांकि एचपीयू ने गलती मानते हुए एक वर्ष का ब्रिज कोर्स करवाते हुए डिग्री की अवधि को 4 वर्ष पूरा करने की बात कही है। उधर, निजी कॉलेजों ने इन डिग्रियों को करवाने के लिए तय किए गए फीस स्ट्रक्चर और मान्यता के दस्तावेजों की जांच के लिए आयोग ने कमेटियां गठित की है।
निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग की अदालत में बीएचएम, बीएससी एचएम और बीएचएम कैटरिंग के मामले को लेकर 3 मार्च को सुनवाई होगी। इस दौरान आयोग चार वर्ष की डिग्री को तीन वर्ष तक ही करवाने को लेकर की गई लापरवाही पर बड़ी कार्रवाई कर सकता है।