बिलासपुर: श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन सुनाई समुंद्र मंथन की कथा

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कल कथा के समापन के बाद होगा प्रसाद वितरण कार्यक्रम

आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। नगर के श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में मंदिर न्यास द्वारा की जा रही श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक हंस राज शर्मा ने समुंद्र मंथन व भगवान राम जी के जीवन पर कथा सुनाई। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर कथा का श्रवण करने के लिए दूर-दूर से श्रीकृष्ण भक्त बिलासपुर पहुंचे थे।

पंडित हंस राज शर्मा ने बताया कि राजा बलि के राज्य में दैत्य, राक्षस तथा दानव अति प्रबल हो उठे थे। उन्हें शुक्राचार्य की शक्ति प्राप्त थी। इसी बीच दुर्वासा ऋषि के श्राप से देवराज इन्द्र शक्तिहीन हो गये थे। असुर राज बलि का राज्य तीनों लोकों पर था। इन्द्र सहित देवतागण उससे भयभीत रहते थे। इस स्थिति के निवारण का उपाय केवल बैकुण्ठनाथ विष्णु ही बता सकते थे,। उन्होंने कहा कि समस्त देवता भगवान नारायण के पास पहुंचे और न्याय की गुहार लगाई। भगवान विष्णु ने कहा कि तुम असुरों से मित्रता कर लो और क्षीर सागर को मथ कर उसमें से अमृत निकाल कर पान कर लो। असुरों की सहायता से यह कार्य सुगमता से हो जायेगा। इस कार्य के लिये उनकी हर शर्त मान लो और अन्त में अपना काम निकाल लो। समुद्र मन्थन आरम्भ हुआ और भगवान कच्छप के एक लाख योजन चैड़ी पीठ पर मन्दराचल पर्वत घूमने लगा।

उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन से सबसे पहले जल का हलाहल विष निकला। इस पर सभी ने मिलकर भगवान शंकर की प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना पर महादेव जी उस विष को हथेली पर रख कर उसे पी गये किन्तु उसे कण्ठ से नीचे नहीं उतरने दिया। उस कालकूट विष के प्रभाव से शिव जी का कण्ठ नीला पड़ गया। इसीलिये महादेव जी को नीलकण्ठ कहते हैं। इसके बाद उन्होंने भगवान श्री राम जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम ने गृहस्थ के सभी रिश्तों को बखूबी निभाने का संदेश विश्व को दिया। श्री राम जैसा सयंम व सामथ्र्यवान होने के लिए कठिन तप और कुंदन बनना पड़ता है। कथा के अंत में भगवान श्रीकृष्ण जन्म से संबंधित सुंदर भजन सुनाए तथा प्रसाद वितरण किया गया। इसके बाद भव्य झांकी का आयोजन किया गया।

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