बिलासपुर रामलीला में सीता स्वयंवर रहा मुख्य आकर्षण का केंद्र

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आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। नगर परिषद प्रांगण में चल रही शताब्दी का सफर तय कर चुकी श्री राम लीला मंचन के तीसरे दिन जहां सीता स्वयंवर का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा वहीं पर श्री राम वन गमन आज्ञा दृश्य में मंथरा का अभियन कर रहे युवा कलाकार अंशुल कुमार ने अपनी अदाकारी का ऐसा जादू बिखेरा कि दर्शक एक टक इस कलाकार को देखते रहे। उम्मीद से कहीं ज्यादा सजीव अभिनय करना वास्तविक में अदाकारी है, लेकिन यहां पर खास बात यह है कि अंशुल कुमार ने पहली बार मंच का मुख देखा है और मंथरा के किरदार को निभाया है। करीब एक महीने की रिहर्सल की मेहनत पर अंशुल कुमार ने न सिर्फ मोहर लगाई बल्कि निर्देशकों की मेहनत को सकारात्मक तरीके से फलीभूत किया।

 

इस संध्या के पहले दृश्य में जनकनंदिनी माता सीता के स्वयंबर को लेकर रंगभूमि को मंच सज्जा के कलाकारों द्वारा अलौकिक तरीके से सजाया गया था। इस पर सुनील पंवर और मनोज गागट के लाइट इफेक्ट तथा ध्वनि संचालन कर रहे विशाल और निशांत की टाइमिंग अद्वितीय रही।

सीता स्वयंबर में जनक का अभिनय कर रहे वरिष्ठ कलाकार सुशील पुंडीर ने बेटी के विवाह में हो रहे विलंब की व्याकुलता को शिद्दत से प्रस्तुत किया। इस दौरान सुदूर प्रदेशों से आए राज कुमारों की अदाकारी भी देखने लायक थी। जब सभी राजा और राजकुमार शिव धनुष को तोड़ने के प्रयास में असफल होते हैं तो गुरू वशिष्ठ प्रभु राम को वैदेही के कष्टों के निवारण के लिए रंगभूमि में भेजते हैं। भगवान राम शिव धनुष की प्रत्यंच्चा चढ़ाते हैं और शिव धनुष टूट जाता हैं। इस दृश्य में देवी देवताओं द्वारा की गई पुष्पवर्षा और मंच के बाहर कार्यकर्ताओं द्वारा की गई भव्य आतिशबाजी ने माहौल को रोमांचक बनाया।

वहीं अगले दृश्य में कैकेयी को मंथरा भड़काती है कि इस राज सिहांसन पर भरत का भी अधिकार था लेकिन राजनीति के तहत ऐसा न हो सका। कैकेयी मंथरा की बातों से भ्रमित हो जाती है और महाराज दशरथ से अपने दो वचनों की पूर्ति में एक से भगवान राम को चैदह वर्ष का वनवास और दूसरे बचन में भरत को अयोध्या का राजपाठ मांगती है। पीड़ादायक इन वचनों की पूर्ति में महाराज दशरथ कैकेयी को भला बुरा कहते हैं और मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस बात का पता जब ननिहाल गए भरत और शत्रुघ्न को लगता है तो वे अपनी माता कैकेयी से काफी झगड़ा करते हैं और भैया राम के पास जाने के लिए निकल पड़ते हैं।

इस संध्या में सुशील पुंडीर ने जनक, अमित ने सीता, राजेंद्र chandel   विश्वामित्र, शेर बहादुर भाट, नवीन सोनी राम, रिशु शर्मा लक्ष्मण, ब्रजेश कौशल रावण, सुखदेव परशुराम, दशरथ गोपाल हंस, कैकेयी शुभम, मंथरा अंशुल कुमार, अमन त्रिवेदी कौशल्या, पारस भरत, शत्रुघ्न धीरज शर्मा और सभासदों में रमन गागट, मनीश कौंडल, आशीष कंडेरा, बबलू, ईमरान, आकिब हुसैन आदि शामिल रहे।

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