आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर
02 अक्टूबर।साधू वेश धारण कर जब तूने पराई स्त्री को चुराया तो तुझे लज्जा नहीं आई,मैंने अपनी भूख मिटाने के लिए दो चार फल क्या खा लिए तो मैं दोषी हो गया।तूने राजाओं की मर्यादा को तोड़ा है रावण, साधुओं की जाति को कलंकित किया है, बता लज्जा तूझे आनी चाहिए या मुझे……….. जब यह संवाद रावण की भरी सभा में हनुमान जी ने कहे तो सारा पंडाल तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा। नगर परिषद प्रांगण में चल रही उत्तरी भारत की ऐतिहासिक श्री राम नाटक मंचन की छठी संध्या में प्रभु राम की आज्ञा से माता जानकी की सुधी लाने के लिए वीर हनुमान लंका पहुंचते हैं जहां उन्हें रोती बिलखती माता सीता जी के दर्शन होते है।
इस दौरान हनुमान ने रावण के पुत्र अक्षय कुमार और अन्य राक्षसों का वध करके अशोक वाटिका को उजाड़ देते हैं। अशोक वाटिका में मेघनाद ब्रम्हस्त्र का प्रयोग कर हनुमान जी को बंधक बनाकर रावण दरबार में प्रस्तुत करता है। हनुमान जी रावण को समझाते हैं कि रावण अभी तक कुछ
नहीं बिगड़ा है, तुम सीता जी को सादर लौटा दो और लंका पर आए विनाश को टाल लो। लेकिन हठी और अभिमानी रावण हनुमान जी की किसी बात को नहीं सुनता है तथा उन्हें अपमानित कर उनकी पूंछ को आग लगाने का आदेश देता है। जली पूंछ को लेकर हनुमान जी स्वर्ण लंका को आग लगा देते हैं। संध्या के अगले दृश्य में हनुमान जी वापिस श्री राम शिविर में पहुंच कर सारा वृतांत प्रभु राम को सुनाते हैं। तत्पश्चात भगवान शिविर में लंका जाने की योजना व विचार।विमर्श होता है। इस दौरान लंका जाने के लिए समुद्र बाधा बनता है तो भगवान राम समुद्र को सुखाने के लिए धनुष बाण उठाते हैं तो सग्रराज प्रकट होकर भगवान राम से आग्रह करते हैं कि आपकी सेना में नल और नील ऐसे योद्धा हैं जो अपने स्पर्श से यदि पत्थरों को जल में डालेंगे तो वह डूबेगा नहीं। इसी के साथ सेतु निर्माण हुआ। संध्या के अंतिम दृश्य में रामेश्वरम की
स्थापना की गई जहां पर प्रभु राम के आग्रह पर प्रकांड पंडित रावण को पूजा के लिए बुलाया गया। रावण ने प्रभु राम को विजयी भव का आशीर्वाद दिया और रामेश्वरम की विधि विधान से स्थापना की गई। इस संध्या में नवीन ने प्रभु राम का किरदार निभाया जबकि रिशु ने लक्ष्मण,पारस ने सीता, गोपाल हंस ने हनुमान, अंकुर ने जाम्वंत, गिरीश ने सुग्रीव,शेर बहादुर ने महोदर, रावण का ब्रजेश कौशल, त्रिजटा का आयुष, सुग्रीव का
गिरीश, रजत ने विभिषण, बृजलाल ने सग्रराज, नितिन तांडी ने मेघनाद का सशक्त अभिनय किया।