बिलासपुर: पंजाबी फिल्म शक्करपारे में बरमाना की 19 वर्षीय नेहा ने गाया “महक तेरी”

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 देश भर लांच हुई फिल्म, रामलीला के मंच में पहली बार गाया था भजन

आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। बिलासपुर जिला में प्रतिभा की कोई कमी नही है। जिले से हर क्षेत्र में कोई न कोई प्रतिभा निकल कर सामने आई है, जिन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इन प्रतिभाओ से प्रेरणा लेकर यूथ आगे निकल रहा है। ऐसी ही एक नई प्रतिभा जिले के बरमाणा क्षेत्र से निकल कर सामने आई है।

बरमाणा की 19 वर्षीय नेहा ने पंजाबी फिल्म शक्करपारे में “महक तेरी” गीत गाया है। इस फिल्म को देश भर में रिलीज किया गया है। इस फिल्म का निर्देशन वरुण के खन्ना ने किया है, जबकि इस फिल्म के निर्माता विष्णु के पोद्दार और पुनीत चावला है।

नेहा ठाकुर ने बताया कि 4 अगस्त को चण्डीग़ढ़ में “शक्करपारे” फिल्म का प्रीमियर हुआ। फिल्म बहुत ही अति उत्कृष्ट है, फिल्म बहुत ज्यादा कॉमेडी, रोमांस, भावनात्मक और संदेशपूर्ण वाक्यों से भरपूर है। इस फिल्म को हम अपने परिवार के साथ बैठकर भी देख सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि 19वर्षीय नेहा ठाकुर की माता का नाम सुनीता और पिता चमन ठाकुर है। नेहा ने अपनी शिक्षा डीएवी बरमाणा से प्राप्त की है। 12वी की परीक्षा पास करने के बाद अब नेहा बिलासपुर कॉलेज से संगीत में स्नातक की पढ़ाई कर रही है।

नेहा ने कहा कि कामयाबी के पीछे उनके पिता का हाथ है जो खुद एक अच्छे कलाकार हैं। नेहा के पापा रामलीला में अभिनय करते हैं। नेहा ने बताया की बचपन में वह अपने पापा के साथ रामलीला देखने जाया करती थी उस वक़्त नेहा के पापा ने नेहा से रामलीला के स्टेज पर पहली बार एक भजन गाने को कहा। नेहा ने बताया की राम भजन को गाने के बाद नेहा की संगीत के प्रति आकर्षण हुआ और प्रभु राम की कृपा से ही वह आज इस मुकाम तक पहुच पाई है।

नेहा ने बताया कि संगीत की शुरुआत करवाने वाले उनकी गुरु शास्त्रीय संगीत की प्रोफेसर डॉ. मीना वर्मा और डॉक्टर मोहन लाल शर्मा है, जोकि शास्त्रीय संगीत के गुर सीखा रहे हैं। वहीं दक्षिण भारतीय पार्श्व गायका नंदिता ज्योति का भी उनको गायन की दुनिया में उभारने में बहुत सहयोग रहा है। उनका सपना है कि वह पंजाबी, पहाड़ी, हिंदी के साथ अन्य भाषा में भी गीत गाकर बहुमुखी प्रतिभा संपन्न गायका बने।

नेहा ने संगीत प्रेमियों के लिए संदेश देते हुए कहा कि वह अच्छा म्यूजिक सुनें, क्योंकि संगीत के बिना जीवन अधूरा सा प्रतीत होता है। संगीत हर किसी की पसंद होती है, व्यक्ति संगीत को अपने मन की मनोदशा बदलने और आनंद के लिए सुनता है।

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