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अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। बिलासपुर में रविवार को ‘बेड़ा तारने’ की पंरपरा शिद्दत से निभाई गई। गोविंद सागर झील से उस पार स्थित ऋषिकेश में सैंकड़ों लोगों ने ख्वाजा पीर की ईबादत में पूजा अर्चना की तथा बेड़ा तार अर्पण किया। इस परंपरा को निभाने के लिए न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र बल्कि शहरी लोगों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया।
मान्यता है कि लोग नई फसल का भोग ख्वाजा पीर को लगाते हैं तथा इस अवसर पर मल्लाहों की विशेष पूजा की जाती है। लोगों द्वारा श्रद्धानुसार मल्लाहों को वस़्त्र, उपहार और पूजा सामग्री दी जाती है। इसी के साथ मल्लाह को एक दिन की कुछ राशि भी भेंट की जाती है, ताकि लोग उस राशि से गोविंद सागर झील आर-पार कर सकें। इस दिन प्रसाद के रूप में दलिया विशेष रूप से बनाया जाता है तथा इसी का भोग ख्वाजा पीर को लगाया जाता है। पानी के देव ख्वाजा पीर को मनाने की यह पंरपरा बिलासपुर में दशकों पुरानी है। जो आज भी निर्विघ्न चल रही।
वहीं बेड़ा तारने दूर-दराज के क्षेत्रों से आए लोगों में शामिल निर्मल बंसल, पम्मा देवी, जयपाल, माया देवी, शीला देवी, गोपाल आजा, राज कुमार, दलीपी कुमारी, प्रियंका, आयुषी आदि ने बताया कि ऋषिकेश में कम से कम सौ लोगों ने इस परंपरा का निर्वहन किया। बहरहाल सुंदर रंग-बिरंगे परिधानों में बेड़ा तारने आए लोग इस माहौल को और सुंदर बना रहे थे।