बिलासपुर: कोलडैम विस्थापित 20 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित, किया धरना-प्रदर्शन

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आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर।  हिमाचल प्रदेश के चार जिलों की सीमाओं पर लगी 800 मेगावाट की कोलडैम बिजली परियोजना से करोड़ों लोगों को लाभ मिल रहा है, लेकिन इस बांध के लिए अपनी जमीनें कुर्बान करने वाले हजारों विस्थापितों को आज भी सरकार मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवा पाने में नाकाम साबित हुई है। आलम यह है कि परियोजना लगने के 20 साल बाद भी विस्थापितों के गांव तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है। इतने साल बीत जाने के बाद भी क्षेत्र के हजारों विस्थापित महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

मूलभूत सुविधाओं से महरूम विस्थापितों ने शनिवार को जमथल में धरना प्रदर्शन किया, जिसमें मुख्य रूप से जिला परिषद अध्यक्ष मुस्कान मौजूद रही। इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ काफी रोष जताया।

जिला परिषद अध्यक्ष ने इस अवसर पर विस्थापितों की कॉलोनी का जायजा भी लिया। इस दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने विस्थापितों की कॉलोनी की दुर्दशा का हाल बताते कहा कि उनके द्वारा एनटीपीसी को भी कई बार पत्र लिखे गया हैं कि वे यहां आए और स्थिति का जायजा लें, लेकिन उनके द्वारा विस्थापितों की कोई सुध नहीं ली गई।

वहीं, विस्थापितों का कहना है कि अब बिजली उत्पादन शुरू हो गया है, लेकिन रॉयल्टी मिलना तो दूर आज सरकार द्वारा उनकी सुख सुविधा को भी दरकरार कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीपीसी कोलडैम के कार्यालय और उनकी सड़कें चकाचक हैं, लेकिन विस्थापितों की कॉलोनी की दुर्दशा इतनी भयावह है कि लोग अपनी जान को हथेली में रखकर जीवन जीने को विवश हैं।

विस्थापितों का आरोप है कि उनकी समस्याओं पर न तो एनटीपीसी, न जिला प्रशासन और न ही कोई जनप्रतिनिधि सुलझाने के लिए आगे आ रहा है। उन्होंने बताया कि कॉलोनी को जाने वाली सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है, डंगे ढह गए हैं, जबकि सड़क के दोनों ओर झाड़ियों का साम्राज्य अपनी दुर्दशा को बयान कर रहा है। तंग और कीचड़ से भरी सड़कों पर लोगों का चलना तक मुश्किल हो गया है। यही नहीं बरसात में ढहे डंगों का मलबा रिहायशी मकानों के अंदर आ घुस है।

विस्थापितों ने कहा कि उन्हें पीने के पानी की सप्लाई भी गंदे पानी की की जा रही है जो बिलकुल भी पीने योग्य नहीं है। उन्हें टैंकर से पानी मंगवा कर अपनी दिनचर्या की जरूरतों को पूरा करना पड़ रहा है। एनटीपीसी के साथ हुए करार में मूलभूत सुविधाओं को देने का लिखित जिक्र है, लेकिन एनटीपीसी प्रबंधन ने जिम्मेदारियों से अपना मुंह मोड़ लिया है। विस्थापितों का जीवन किसी दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वालों से कम नहीं है। ऐसे में जिला परिषद अध्यक्ष मुस्कान और विस्थापितों ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर वे एक हफ्ते के अंदर उनकी मांगों को पूरा नहीं करते तो वे सड़कों पर उतरने से भी गुरेज नहीं करेंगे और आने वाले हिमाचल विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे, जिसकी जिम्मेवारी संबंधित प्रशासन, जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार की होगी।

इस अवसर पर बीडीसी अशोक शर्मा, प्रधान ग्राम पंचायत हरनोड़ा देशराज ठाकुर, उपप्रधान राजीव कुमार, राजेंद्र कुमार, सतपाल, अमृत चंद, जगदीश कुमार, किशोरी लाल, बालक राम, रेणु कुमारी, निक्की देवी, राकेश कुमार, अखिल पुरी, रामप्यारी, मंजू देवी, इशिदा शर्मा, रजनी देवी, लता देवी, अंजू देवी, सरला देवी, अनिता देवी, विष्णा देवी आदि मौजूद थे।

एनटीपीसी प्रबंधन नहीं कर रहा सहयोग: कुमारी मुस्कान

इस बारे में जिला परिषद अध्यक्षा कुमारी मुस्कान ने कहा कि सेड़पा कालोनी की समस्याओं को लेकर उन्होंने लिखित तौर पर एनटीपीसी प्रबंधन से वार्ता की है, लेकिन वे सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए अब सात दिन का समय दिया गया है यदि एनटीपीसी ग्रामीणों की समस्याओं को नहीं सुनती है तो वे सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।

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