आवाज़ ए हिमाचल
शिमला । बिजली बोर्ड में दो करोड़ रुपए के घोटाले की जांच अब विजिलेंस और एंटी क्रप्शन ब्यूरो कर सकता है। बिजली बोर्ड ने इस मामले में अधिकारियों की मिलीभगत से संबंधित पहलू की जांच का हिस्सा विजिलेंस को सौंप दिया है और विजिलेंस से इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की बात कही है। जबकि दूसरा मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। इसमें बोर्ड ने दो करोड़ रुपए के लिए याचिका दायर कर रखी है। इस बारे में फैसला हाई कोर्ट को करना है। लेकिन पूरे मामले में अधिकारियों और कर्मचारियों की जो भूमिका रही थी और उस समय पैसों के लेनदेन के जो आरोप सामने आए थे, उनकी परतें विजिलेंस खोलेगा। बिजली बोर्ड ने मार्च महीने में विजिलेंस और एंटी क्रप्शन ब्यूरो को जांच का यह आवेदन भेजा है।
बिजली बोर्ड प्रबंधन में फेरबदल से ठीक पहले यह बड़ी फाइल खुल गई है। बताया जा रहा है कि इस फाइल में जिस अधिकारी का नाम है प्रदेश सरकार उसे एक अहम ओहदे से नवाजने की तैयारी में है। गौरतलब है कि मामला कुल्लू जिला की पार्वती परियोजना से जुड़ा है। पार्वती स्टेज-दो के निर्माण में मैसर्ज वलेचा इंजीनियर को टनल निर्माण का जिम्मा दिया था।
टनल निर्माण के दौरान कंपनी को 450 किलोवाट लोड की आवश्यकता थी। इस दौरान वलेचा इंजीनियर और उनके एक अन्य ठेकेदार ने मिलकर एचटी लाइन को परियोजना के इस्तेमाल से जोड़ लिया था। इस लाइन को जोडऩे से पहले बिजली बोर्ड की मंजूरी लेना जरूरी था, लेकिन इसके जरूरी औपचारिकताएं उस समय नहीं की गई। बाद में जब यह मामला खुला तब तक बोर्ड को करीब दो करोड़ रुपए का चूना लग चुका था।
बोर्ड ने मामले की तह तक जाने के लिए दो जांच समितियों का गठन किया। इन जांच समितियों ने अपनी रिपोर्ट आलाधिकारियों को सौंपी और इस रिपोर्ट में कई अधिकारियों को संदेह के घेरे में रखा गया, लेकिन अधिकारियों पर आवश्यक कार्रवाई उस समय नहीं हो पाई। अब बोर्ड ने जांच रिपोर्ट विजिलेंस को सौंपी दी है। मामला दोबारा से खुलता है, तो इसकी जद में वे अधिकारी फंस सकते हैं, जिन्हें संदिग्ध होने के बावजूद पदोन्नति का लाभ मिलता रहा है।