बामटा में राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस का आयोजन

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आवाज़ ए हिमाचल

              अभिषेक मिश्रा बिलासपुर

22 अक्तूबर। ग्राम पंचायत बामटा में गुरूवार को ब्लॉक मार्कण्ड के खंड चिकित्सा अधिकारी के दिशा निर्देश में राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस मनाया गया जिसकी अध्यक्षता ग्राम पंचायत प्रधान विक्रम ठाकुर ने की । हैल्थ एजुकेटर विजय कुमारी तथा मस्त राम ने लोगों को आयोडीन की कमी से होने वाले विकार व रोगों के बारे में तथा उनके वचाव के बारे में जानकारी दी। आयोडीन हमारे संपूर्ण स्वास्थ्‍य के लिये बहुत ही आवश्यक है और इसकी कमी से होने वाली समस्याओं को आयोडीन अल्पता विकार भी कहा जाता है। आयोडीन हमारे संपूर्ण स्वास्थ्‍य के लिये बहुत ही आवश्यक है। हमारे शरीर को प्रतिदिन अपने आहार में 100 से 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है।

आयोडीन की कमजर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर के अनुसार, भारत में लगभग 20 करोड़ लोगों में आयोडीन की कमी से होने वाले विकार (आईडीडी) का खतरा है। इनके अलावा 7.1 करोड़ लोग गॉइटर (गलगंड) और अन्य आईडीडी से पीड़ित हैं। दुनिया भर में यह आंकड़ा 2 अरब है। आईडीडी किसी को भी अपना शिकार बना सकता है, लेकिन 6 से 12 आयु वर्ग के बच्चे-किशोर सबसे ज्यादा प्रभावित रहते हैं। आईडीडी का सबसे बुरा असर जीवन के पहले 1000 दिनों में और गर्भाधान से 2 वर्ष की आयु तक होता है। मछली, अंडे, मेवे, मीट, ब्रेड, डेयरी उत्पाद और समुद्री शैवाल, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें प्रचूर आयोडीन होता है। यदि आहार से पर्याप्त आयोडीन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, तो डॉक्टर इसके सप्लिमेंट की सलाह देते हैं। आयोडीन नमक इसका एक तरीका है।

आयोडीन युक्त नमक का रखरखाव भी बहुत जरूरी होता है नमक को एयरटाइट ढक्कन में रखना चाहिए तथा दालें, सब्जियों को पकने के बाद जब खाने योग्य तापमान पर हों तभी नमक मिलाना चाहिए।आयोडीन की कमी से होने वाले कई रोग-थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना,मानसिक बीमारी: मंदबुद्धि, मानसिक मंदता, बच्चों में संज्ञानात्मक विकास की गड़बड़ी और मस्तिष्क की क्षति, तंत्रिका-पेशी और स्तैमित्य (मांसपेशियों की जकड़न), एन्डेमिक क्रेटिनिज़म 5 मृत जन्म और गर्भवती महिलाओं में स्वतः गर्भपात, जन्मजात असामान्यता जैसे कि बहरा-गूंगापन (बात करने में असमर्थता) और बौनापन, देखने, सुनने और बोलने में दोष,आयोडीन की कमी से चेहरे पर सूजन,गले में सूजन (गले के अगले हिस्से में थाइराइड ग्रंथि में सूजन),थाइराइड की कमी (जब थाइराइड हार्मोन का बनना सामान्य से कम हो जाए) ,मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में बाधा वज़न बढ़ना,

रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ना और ठंड बर्दाश्त न होना जैसे आदि रोग होते हैं। गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात, नवज़ात शिशुओं का वज़न कम होना,शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि होते हैं, शिशुओं में आयोडीन की कमी से उसमें बौद्धिक और शारीरिक विकास समस्यायें जैसे मस्तिष्क का धीमा चलना, शरीर का कम विकसित होना, बौनापन, देर से यौवन आना, सुनने और बोलने की समस्यायें तथा समझ में कमी आदि होती हैं। इस के साथ हिमाचल की स्वर्ण जयंती पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं जैसे हिमकेयर, सहारा,अटल आशीर्वाद ,जननी सुरक्षा योजना के बारे में जानकारी दी।

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