बद्दी के पहाड़ी क्षेत्रों में मटर बिजाई का कार्य शुरू,लेकिन फिर भी चिंता में है किसान

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आवाज़ ए हिमाचल

शांति गौतम,बीबीएन

28 नवंबर।बद्दी के पहाड़ी क्षेत्र के किसानों ने मटर की फसल बोई का काम लगभग शुरु कर भी दिया है, लेकिन किसानों को चिंता सताने लगी है कि अगर उनकी फसलों को उचित दाम नहीं मिला तो उन्हे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनकी फसल का उचित दाम उन्हें मिले जिससे वह अपने परिवार का सही से पालन पोषण हो सके।बता दे कि प्रदेश के पहाडी क्षेत्रों में मटर को बोई का कार्य जोरो शोरो पर है।किसान फसलों में अच्छी खेतीबाड़ी करने के लिए अच्छी क्वालिटी के बीजों को प्रयोग व खाद का प्रयोग करके अपनी मेहनत को पूरी तरह निष्टा के साथ करता है। फसलों की पैदावार अच्छी भी होती है। इसके बाबजूद भी किसानों को उनकी मेहनत का सही फल मार्किट से नहीं मिल पाता है, जिस कारण उन्हे कई बार भारी नुकसान के साथ आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है।
हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्र साईं में किसानों ने मटर की फसल को बोने का काम शुरू कर दिया है। किसान बढियां और अच्छा बीज अपने खेतों में बो रहे हैं,जिसे किसान अच्छी मटर की फसल तैयार करेंगे और अपने प्रदेश की मंडियों में लोगों को खाने के लिए बेचेंगे।किसानों का कहना है कि जिस तरह हम बड़ी मेहनत से खेतों में काम करते हैं और अच्छी पैदावार के अच्छे बीजो को खरीद कर अच्छी फसल तैयार करते हैं। उस तरह से उस फसल के उचित दाम नहीं मिलते है। उन्होंने बताया कि मटर से पहले उन्होंने टमाटर की फसल को तैयार किया था। जिसकी फसलों की पैदावार भी अच्छी हुई थी। लेकिन उनकी मेहनत खाद व बीजों के पैसे को भी पूरा नहीं कर पा रहे है। उन्होंने बताया कि टमाटर की 25 किलो करेट का दाम उन्हें सिर्फ 100 रुपए ही मिल पाया। किसान शेष पाल ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष टमाटर की 800 कैरेट की पैदावार की थी,लेकिन उन्हे टमाटर का उचित दाम न मिलने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि अब अपने खेतो में मटर की फसल 20 से 25 किलोग्राम मटर का बीज अपने खेत में बो रहे,जिसकी पैदावार अप्रैल – मई तक तैयार हो जाएगी, लेकिन अगर इस फसल का दाम भी उचित न मिल पाया तो उन्हे आर्थिक रुप से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा । इसलिए सभी किसानो ने आग्रह किया है कि उनकी मेहनत से बोई गई फसलों का उचित दाम मिले, जिससे उन्हें फसल की बीज व खाद के रेट की भरपाई के साथ उनके परिवार वालों का भी पोषण हो सके।

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