बच्चों को बचाने के लिए दुर्गा बन गई आरती:छाती व घुटनों के बल बचाई नन्ही जाने,हाथ से तोड़ डाला शीशा

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आवाज़ ए हिमाचल

आशीष पटियाल,शाहपुर अस्पताल

16 जुलाई।शाहपुर का बोह घाटी हादसा क्षेत्र को गमगीन करने संग कई वीर गाथाएं भी लिख गया है।रुलेहड़ गांव की 29 वर्षीय आरती अपने बच्चों को मलबे से बचाने के लिए दुर्गा बन गई।मां नहीं होती तो शायद परिवार में कोई भी नहीं बच पता।बोह घाटी के रुलेहड़ में हादसा हुआ तो उस समय आरती अपने तीन बच्चों व एक भांजी के साथ घर पर थी,उनकी सास सड़क पर खड़ी थी।अचानक किसी ने आवाज़ दी कि घर से बाहर निकालो आपका घर टूट रहा है।आरती ने बाहर देखते ही तुरंत दो बच्चों को उठाया कर बाहर की तरफ भागी।आरती ने बाहर भागने से पहले अपनी भांजी को अपना मोबाइल फोन देकर कहा कि अगर किसी का भी फोन आए तो वे उसे उठा ले।आरती दो बच्चों को लेकर अभी बाहर निकली ही थी कि मलबे ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया,लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी तथा बच्चों को बचाने के लिए मानो मां दुर्गा का रूप धारण कर लिया हो।आरती दो बच्चों को हाथों में लिए घुटनों व छाती के बल मलबे को चीरती हुई सड़क तक पहुंची,इस दौरान उन्होंने हाथों से सरिया तक हटा डाला,मलबे,पानी,कांटो के बीच आरती अपने छोटे-छोटे दो बच्चों को लेकर सड़क तक पहुंची तथा वहां उन्हें बैठाने का कोई ठिकाना न मिला तो उन्होंने पूरी तरह से बंद साथ खड़ी गाड़ी का शीशा एक हाथ से तोड़ डाला तथा बच्चों को उसमें बैठा कर मलबे में फंसे दो अन्य बच्चों को निकालने के लिए दौड़ पड़ी,पर वहां पूरा घर दफन ही गया था,चारों तरफ मलबा ही मलबा था।हालांकि बाद में लोगों के सहयोग से आरती द्वारा दिया गया मोबाइल ने दोनों बच्चियों को भी बचा लिया।लोगों ने फोन के माध्यम से बच्चियों को तलाश किया तथा उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया।आरती शाहपुर अस्पताल में भर्ती है,जबकि उनकी बेटी पीजीआई व भांजी टांडा में दाखिल है।इस हादसे में आरती की सास का निधन हो गया है।आरती की माने तो उस समय उन्हें ऐसा लग रहा था,जैसे उनके भीतर कोई शक्ति प्रवेश कर गई है।उन्हें सिर्फ यही दिख रहा था कि उन्होंने अपने बच्चों की ज़िंदगी बचानी है।वे घुटनो व छाती के बल घसीटती हुई दो बच्चों के साथ सड़क तक पहुंची।इस दौरान उन्होंने बड़े बड़े पत्थर हटाने के साथ सरिया तक खींच डाला,गाड़ी का शीशा हाथ से तोड़ डाला पर उन्हें कुछ भी नही हुआ।पैर,मुह व शरीर में कुछ चोटे आई है।

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