बन्द पड़े स्कूल भवनों को आंगनवाड़ी, महिला-मंडल, युवाक्लब या सार्वजनिक भवन के रूप में किया जाए परिवर्तित।
आवाज़ ए हिमाचल
नादौन। शिक्षा मनुष्य जीवन का मूलभूत अंग है। इसकी पूर्ति हेतु किसी भी देश या प्रदेश की सरकार हमेशा प्रयासरत रहती है, इसके लिए समाज के भिन्न-भिन्न स्थलों पर विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाती है। हिमाचल प्रदेश सहित भारत के सभी राज्यों में मूलभूत शिक्षा प्रदान करने हेतु गांव-गांव में प्राथमिक पाठशाला हेतु सुंदर भवनों का निर्माण किया गया है, ताकि हर बच्चे को घर के समीप ही नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा पहुंचाई जा सके, परंतु समय के साथ-साथ बहुत सारे प्राइवेट विद्यालयों के खुल जाने और लोगों के शहरों की तरफ भागने से इन विद्यालयों के महत्व में कमी देखी जा रही है क्योंकि सभी लोग अपने बच्चों को शहरों के विद्यालयों में पढ़ाने हेतु लालायित हैं। लोगों के शहरों की तरफ जाने से इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 0 से 5 तक पहुंच गई थी, जिसके कारण सरकारों को विद्यालय बंद करने पड़े। हिमाचल सरकार ने भी शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बहुत सारी प्राथमिक पाठशालाओं को बंद कर दिया, जिसके कारण विद्यालय के लिए बनाए गए सुंदर भवन खंडहरों में बदलने लगे। अब ये बंद पड़े विद्यालय आवारा पशुओं का आवास बने हुए हैं या फिर नशेड़ी लोगों का गुप्त स्थान बने हुए हैं, जिससे वहां पर शिक्षा प्राप्त कर चुके ग्रामवासी आत्मग्लानि का अनुभव करते हैं। ऐसा ही मामला खंड नादौन की दंगड़ी पंचायत के अंतर्गत आने वाले तरकेड़ी नामक गांव की प्राथमिक पाठशाला का ध्यान में आया है। स्थानीय ग्रामवासियों और युवा परिषद के सदस्यों के अनुसार राजकीय प्राथमिक पाठशाला तरकेड़ी पिछले जुलाई मास में बंद कर दी गई थी क्योंकि यहां पर शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे विद्यालय छोड़कर अन्य विद्यालयों हेतु चले गए थे। विद्यालय को बंद हुए 1 वर्ष बीत जाने पर भी इसके भवन की प्रशासन और विभाग के द्वारा कोई सुध नहीं ली गई जिससे विद्यालय की खिड़कियों और दरवाजों पर दीमक लग गई है। विदित रहे कि इस विद्यालय में दो पक्के कमरे और दो कच्चे कमरे हैं और एक खाना बनाने हेतु पाकशाला भी मौजूद है। इसके अतिरिक्त 5-6 शौचालय भी विद्यमान है। इसके अतिरिक्त जल आपूर्ति हेतु टैंक से स्पेशल पाइप का भी इंतजाम सरकार के द्वारा विद्यालय भवन के लिए किया गया था, ताकि बच्चों को पीने के पानी से वंचित न रहना पड़े। इतनी सुव्यवस्था होने के बावजूद भी इस भवन की सुरक्षा हेतु किसी को भी तैनात नहीं किया गया है।
विद्यालय भवन बंद हो जाने की वजह से यहां पर नशेड़ियों की आवाजाही भी बढ़ गई है, क्योंकि इसकी सुरक्षा के लिए किसी को भी नियुक्त नहीं किया गया है, जिस कारण से वे स्वतंत्र होकर यहां पर विचरण करते हैं। इस विद्यालय में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी ग्रामवासी इस बात से आहत हैं क्योंकि उनके विद्या मंदिर में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। विदित रहे कि यहां दूसरे गांव के अनजान लोगों को भी अक्सर देखा जाता है जोकि स्थानीय ग्राम वासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ग्राम वासियों का मानना है कि सरकार द्वारा इस भवन का सदुपयोग करना चाहिए, ताकि यह गिरने से भी बच सके और किसी संस्था के काम भी आ सके। ग्राम वासियों ने बताया कि पक्का भवन तो अभी तक सुरक्षित है परंतु कच्चे भवन पर अगर सुध नहीं ली गई तो आने वाले समय में यह सरकारी संपत्ति देखरेख के अभाव में नष्ट हो सकती है। विदित रहे कि इस विद्यालय भवन के साथ हुई सार्वजनिक भवन (जंजघर) भी उपलब्ध है, जिसका जीर्णोद्धार ग्राम वासियों ने मिलकर और सरकार के सहयोग से कर लिया है ताकि भवन सुरक्षित रह सके। अगर विद्यालय की इमारत भी ग्राम वासियों के सुपुर्द या किसी संस्था के अधीन कर दी जाए तो वह सुरक्षित हो जाएगी, जिससे इस विद्या मंदिर में पड़े हुए विद्यार्थी राहत महसूस करेंगे। ग्राम वासियों ने सरकार और विभाग से अपील की है कि इस ओर ध्यान दिया जाए ताकि यह सुंदर विद्या मंदिर नशेड़ियों या पशुओं का अड्डा बन कर न रह जाए और पुलिस प्रशासन भी बीच-बीच में दौरा करके ऐसे लोगों पर नकेल कसे, ताकि हमारा समाज और युवा वर्ग नशे जैसी वस्तुओं से दूर रहे।