फसलों की नई किस्में विकसित करेगा कृषि विश्वविद्यालय : कुलपति

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जंजहैली से किसान हेतराम बनाए नए कृषि दूत

आवाज़ ए हिमाचल 

ब्यूरो, पालमपुर। कृषि विश्वविद्यालय में रबी फसलों पर राज्य स्तरीय कृषि अधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने उनके अनुरोध पर विश्वविद्यालय के लिए अढ़ाई करोड़ रुपए के शोध कोष स्थापित करने पर सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि यह राशि विशेष रूप से हिमालय के अमूल्य जर्मप्लाज्म संसाधनों के संरक्षण पर खर्च की जाएगी, ताकि नई फसल किस्मों को विकसित किया जा सके।

कुलपति ने कहा कि प्रकृति ने प्रत्येक जिले को विशिष्टता प्रदान की है और विश्वविद्यालय सभी जिलों, घाटियों और निचले स्थलों की विशेष फसलों के लिए भौगोलिक संकेतक प्राप्त करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। इसके लिए एक विशेष जीआई टास्क फोर्स का गठन किया है। उन्होंने बताया कि 56 प्रगतिशील किसानों को विश्वविद्यालय कृषि दूत के रूप में नामित और सम्मानित किया गया है और वे पूरे राज्य में अपने-अपने क्षेत्रों में मुख्य परिसर में उत्पन्न उपयोगी जानकारी को फैलाने में मदद करते हैं।

जिला मंडी के जंजहैली से किसान हेतराम को नया कृषि दूत बनाया गया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसल किस्मों से सभी प्रमुख फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है। उन्होंने विपणन नैटवर्क को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कृषि विभाग के सभी कृषि उपनिदेशकों से कहा कि वे अपने-अपने जिलों के प्रमुख मुद्दों पर कृषि वैज्ञानिकों के परामर्श से समाधान करने के लिए चर्चा करें।

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डाॅ. रघुवीर सिंह ने रबी फसलों के लिए बीज जैसे कृषि आदानों की व्यवस्था के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कृषि यंत्रीकरण पर 23 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने अधिकारियों और वैज्ञानिकों से बाजरे को पोषक-अनाज के रूप में लोकप्रिय बनाने के लिए कहा। अनुसंधान निदेशक डाॅ. एसपी दीक्षित ने बताया कि विश्वविद्यालय में 85 करोड़ रुपए की 130 शोध परियोजनाएं चल रही हैं। विस्तार शिक्षा निदेशक डाॅ. वीके शर्मा ने विस्तार शिक्षा में प्रमुख उपलब्धियों के बारे में बताया। डाॅ. डीके वत्स डीन कृषि महाविद्यालय और डाॅ. लव भूषण, अतिरिक्त कृषि निदेशक डाॅ. जीत सिंह ठाकुर सहित विभिन्न जिलों के कृषि अधिकारियों, कार्यक्रम समन्वयकों और किसानों ने भाग लिया।

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