आवाज़ ए हिमाचल
30 जनवरी। मानव भारती विश्वविद्यालय का संचालन करने वाले मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष राज कुमार राणा ने फर्जी डिग्रियां बेचकर अब तक 387 करोड़ रुपये से ज्यादा कमा लिए हैं। इस अकूत काले धन की बदौलत ही उसने अपने और परिवार के सदस्यों के नाम पर संपत्तियां खड़ी कीं। फर्जी डिग्रियों से कमाए पैसे से राजस्थान के सिरोही में माधव विश्वविद्यालय भी खड़ा कर दिया। यह खुलासा हिमाचल प्रदेश पुलिस, सीआईडी और प्रवर्तन निदेशालय की संयुक्त विशेष जांच टीम (एसआईटी) की तफ्तीश में हुआ है। जांच में पता चला है कि राणा ने साल 2009 में हरियाणा के करनाल स्थित अपने कार्यालय से फर्जी डिग्री बेचने का गोरखधंधा शुरू किया।
इसके बाद फर्जी डिग्रियां बेचकर उसने करोड़ों रुपये कमाए। इससे अपने और परिवार के सदस्यों के नाम पर संपत्तियां खरीदीं। आयकर तथा अन्य एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए संपत्तियों को कम कीमत पर खरीदा दर्शाया गया। कानूनी रास्तों से आधी रकम बेचने वाले को दी गई, जबकि बाकी फर्जी डिग्रियों से कमाए काले धन को नकद के रूप में दिया गया। इसकी वजह से संपत्तियां आधिकारिक रूप से कागजों में आधी कीमत पर ही दर्ज हुईं। सूत्रों से यह भी पता चला है कि राणा ने मानव भारती विश्वविद्यालय को बनाने के लिए बैंकों से जो लोन लिया, उसकी किस्तें भी काले धन की मदद से नकद पैसा जमा कर चुकाईं।