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बबलू गोस्वामी ( नादौन )
29 सितंबर । नादौन के महान कवि एवं प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी देवीदास गुलजार को उनके स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान को लेकर डाक विभाग द्वारा उनकी माई स्टैंप जारी की गई है। विभाग के सहायक अधीक्षक जिला हमीरपुर संदीप धर्माणी एवं उनकी टीम ने गुलजार के घर पहुंच कर उनके परिजनों को यह सम्मान दिया। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान विभाग द्वारा गुलजार को फोटोयुक्त माई स्टैंप व समृति चिन्ह गुलजार के सुपुत्र निष्पक्ष भारती को भेंट किया। इस दौरान गुलजार की बहू नीलम, पुत्र रुद्राक्ष अवस्थी व पुत्री यशिका अवस्थी भी उपस्थित रहे। भारती ने बताया कि जिला भर में दो स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को यह सम्मान दिया गया है।
जिनमें गुलजार के अलावा लंबलू गांव का एक परिवार है। धर्माणी ने बताया कि भारतीय डाक विभाग द्वारा अमृत महोत्सव के चलते स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर यह माई स्टैंप जारी की जा रही है, जिसमें स्वतंत्रता सेनानी के फोटो युक्त यह टिकट है। इस दौरान गुलजार की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके परिजनों ने बताया कि उनका जन्म 30 अप्रैल 1929 में नादौन में हुआ था। जन्म के 1 वर्ष बाद ही उनकी माता का निधन हो गया था। उनकी ताई केसरी देवी ने उनका पालन पोषण किया और बाद में वह पिता और ताया के साथ लाहौर चले गए। 1945 में मिडिल क्लास में पढ़ते हुए वह क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए और जयप्रकाश नारायण से प्रभावित हुए। लाहौर के ब्रेडला हाल में उनकी मुलाकात आसिफ अली, मुंशी अहमददीन, तिलक राज चड्ढा आदि से हुई।
1947 में नौवीं कक्षा में पढ़ते हुए उन्होंने गवर्नर के कार पर हमला कर दिया जिनमें उनके साथ प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री पंडित शिवकुमार भी शामिल थे। इसके बाद वह अन्य साथियों सहित जब लाहौर स्टेशन पर जयप्रकाश नारायण का स्वागत करने पहुंचे तो उनके साथ अन्य 12 क्रांतिकारियों को हिरासत में ले लिया गया और उन्हें बच्चों की जेल में भेज दिया गया, जहां के जेलर कांगड़ा निवासी बेनी चंद कटोच ने उन्हें आगे पढ़ने की सलाह दी और उन्होंने आगे जाकर पढ़ाई करके आजादी के बाद शिक्षा विभाग में बतौर अध्यापक कार्य किया। 1992 में वह सेवानिवृत्त हुए। गुलजार उर्दू व पंजाबी के प्रसिद्ध कवि रहे जबकि पहाड़ी, अंग्रेजी, फारसी में भी उन्होंने काफी लेखन किया। अध्यापक नेता भी रहे। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2011 में गुलजार का निधन हुआ।