प्रदेश में बनेंगे 80 ई-चार्जिंग स्टेशन, नाबार्ड को भेजी संशोधित डीपीआर

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आवाज ए हिमाचल

16 अक्टूबर।अब प्रदेश में एचआरटीसी 80 ई चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगा। इससे प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों को कवर किया जाएगा। एचआरटीसी ने इसके लिए संशोधित डीपीआर बनाकर नाबार्ड को भेज दी है। यहां से मंजूरी मिलने के बाद ई-चार्जिंग स्टेशन निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। पहले प्रदेश में 53 ई चार्जिंग स्टेशन बनाने की योजना थी। इसको लेकर डीपीआर भी तैयार की ली गई थी, लेकिन अब निगम ने इसमें बदलाव करते हुए प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों को सुविधा से जोड़ने का फैसला लिया है।संशोधित डीपीआर में अब 53 की जगह 80 चार्जिंग स्टेशन बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। सरकार पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अब ई-वाहनों को बढ़ावा दे रही है। इसे देखते हुए ई-बसों की खरीद की जा रही है। भविष्य में ई वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी होने की संभावनाओं को देखते हुए ई चार्जिंग स्टेशन की स्थापना को लेकर भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इससे जीवाश्म ईंधन पर सरकार की निर्भरता भी कम होगी। पिछले एक साल से इस योजना पर एचआरटीसी काम कर रहा है हालांकि डीपीआर में बदलाव के कारण अभी तक ई चार्जिंग स्टेशन का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने प्रदेश में ई चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए करीब 128 करोड़ रुपये की राशि बतौर ऋण देने की सहमति जताई है। परियोजना के लिए नाबार्ड ने 35 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी कर दी है। योजना के तहत 90 फीसदी राशि का वहन नाबार्ड की ओर से किया जाएगा, जबकि 10% राशि प्रदेश सरकार खर्च करेगी। प्रदेश सरकार ई वाहनों को बढ़ावा देने के लिए ई चार्जिंग स्टेशन के निर्माण को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए प्रदेश के शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी ई चार्जिंग स्टेशन के निर्माण की योजना है। इससे लोग इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे। वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ने पर ई चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ने से वाहनों को चार्जिंग की सुविधा भी मिलेगी।

शहरों के साथ ही प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्र को कवर करने के लिए अब 53 की जगह 80 ई चार्जिंग स्टेशन बनाने की योजना है। इस संबंध में रिवाइज डीपीआर बनाकर नाबार्ड को भेज दी गई है। हमारा उद्देश्य प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए अधिक लोगों को योजना का लाभ पहुंचाना है।

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