आवाज़ ए हिमाचल
21 अक्तूबर। प्रदेश में चल रहे हज़ारों कोचिंग सेंटर अब शिक्षण नियामक आयोग के अधीन आ गए हैं। राज्य शिक्षण नियामक आयोग ने राज्य सरकार को इस विषय में पत्र लिखा था, जिसे अब मंजृूरी मिल गई है। इन संस्थानों में लगातार चल रही अनियमितताओं और गड़बडि़यों की देखते हुए अब इन पर नकेल कसने की तैयारी हो चुकी है। अभी तक इन कोचिंग सेंटर का कोई भी रिकॉर्ड किसी भी विभाग के पास नहीं है। न तो शिक्षा विभाग और न ही जिला प्रशासन का पूरा चैक इन कोचिंग संस्थानों पर है।
यही कारण है कि मान्यता से लेकर, पढ़ाई और फीस का स्ट्रक्चर किस आधार पर तय होता है, यह कोचिंग संस्थान खुद ही तय करते हैं। हालांकि इनमें बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयार किया जाता है, लेकिन कई बार इन कोचिंग सेंटर के खिलाफ मनमानी की शिकायतें भी सामने आई हैं। ऐसे में अब नियामक आयोग ने भी इसके लिए कमेटी गठित की है ताकि इन पर पूरी नजर रखी जा सके। प्रदेश में हज़ारों कोचिंग संस्थान चल रहे हैं।
नीट, इंजीनियरिंग, बैंकिंग के अलावा अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए ये कोचिंग देते हैं। कोचिंग की आड़ में बच्चों से लाखों रुपए फीस वसूली जाती है। शिमला सहित राज्य के कई जिलों में चल रहे इन संस्थानों की फीस प्रोफेशनल डिग्री कोर्स और विश्वविद्यालय से बहुत अधिक है। अभिभावकों के पास कोई विकल्प नहीं होता। इन्हें मजबूरन अपने बच्चों को इन्हीं कोचिंग संस्थानों में दाखिल करना पड़ता है।