आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश में औषधीय पौधों की खेती करने के इच्छुक किसानों व बागवानों को राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत सबसिडी दी जाएगी। राज्य औषधीय पादप बोर्ड की ओर से आयुष मिशन के तहत यह सहयोग राशि दी जाएगी।
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, भारत सरकार द्वारा तय की गई खेती की लागत का 30 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और 75 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता/सबसिडी प्रदान की जा रही है, जिसके लिए किसानों का समूह बनाया जाता है। औषधीय पौधों की खेती के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए किसानों के समूह में न्यूनतम भूमि दो हेक्टेयर होनी चाहिए। समूह में किसान 15 किलोमीटर के दायरे में आसपास के तीन गांवों से हो सकते हैं।
इसके आलावा गिरवी रखी गई भूमि का उपयोग खेती के लिए किया जा सकता है। प्रदेश के शिमला, कांगड़ा, चंबा, सिरमौर, ऊना और सोलन जिलों में 496 किसानों को 1.43 करोड़ रुपए औषधीय पौधों की खेती के लिए सबसिडी के रूप में जारी किए गए हैं। वर्तमान में औषधीय पौधों के घटक के तहत अतीस, कुटकी, सुगंधवाला और स्टीविया की खेती के लिए 19.36 लाख रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध है।
इच्छुक किसानों को संबंधित जिला आयुर्वेदिक अधिकारी को आवेदन करना होगा, जो उचित सत्यापन के बाद मामले को राज्य औषधीय पौधे बोर्ड, हिमाचल प्रदेश को भेजते हैं। राज्य औषधीय पादप बोर्ड, आयुष विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा औषधीय पौधों से संबंधित 7.90 करोड़ रुपए मूल्य की एक कार्य योजना भारत सरकार को भेजी गई है। इसके तहत 21 औषधीय पौधों की खेती के लिए 2.38 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस कार्य योजना की स्वीकृति के बाद किसानों को बड़े पैमाने पर लाभ होगा।