आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व की कैबिनेट ने लोहड़ी के दिन हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को ओपीएस का तोहफा देने का एलान किया था। इसे उसी दिन से लागू होने की बात कर तुरंत अधिसूचना जारी करने की भी बात की, लेकिन इसके बाद महज एक संक्षिप्त ऑफिस मैमोरेंडम (कार्यालय आदेश) निकालकर ही इसे लागू करने की बात की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के फार्मूले को आधार बनाकर हिमाचल ने अपना फार्मूला बनाया है। यह फार्मूला भी कैबिनेट बैठक के 23 दिन बाद भी सार्वजनिक नहीं हो पाया। छत्तीसगढ़ में ओपीएस लागू करने के लिए जिस तरह विस्तृत अधिसूचना जारी हुई है, वैसी अधिसूचना हिमाचल सरकार के वित्त विभाग के अधिकारी अभी तक नहीं निकाल पाए हैं। इस बीच अब नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) ने प्रदेश के करीब 1.36 लाख कर्मचारियों को झटका दे दिया है। यह कर्मचारी एनएसडीएल के पास जमा अपने शेयर (10 फीसदी एनपीएस) की 25 फीसदी राशि भी नहीं निकाल पाएंगे। कंपनी ने अपनी वेबसाइट से पैसा निकालने के विकल्प को हटा दिया है।
कर्मचारियों पर यह दोहरी मार पड़ी है। एक तरफ जहां ओपीएस की बहाली के ऐलान के बाद भी उनके वेतन से एनपीएस शेयर कट रहा है, वहीं दूसरी ओर कंपनी ने पैसा निकालने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के विकल्प को हटा दिया है। एनपीएस कर्मचारी संघ सोलन के जिला अध्यक्ष अशोक ठाकुर ने भी बताया कि संघ के ध्यान में यह मामला आया है।
यह है प्रावधान
एनपीएस कर्मचारी अपने सेवाकाल के दौरान तीन बार अपने एनपीएस खाते में जमा अपने शेयर का 25-25 फीसदी पैसा निकाल सकते हैं। इसके लिए केवल एनएसडीएल वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता था। आवेदन के एक सप्ताह के अंदर पैसा कर्मचारी के खाते में जमा हो जाता था। बता दें कि प्रत्येक कर्मचारी का हर महीने के वेतन से एनपीएस शेयर कटता है। इसका 10 फीसदी कर्मचारी व 14 फीसदी सरकार द्वारा वहन किया जाता है। यह एनपीएस राशि एनएसडीएल कंपनी के खाते में जमा होती है।