प्रदेश की बिजली परियोजनाओं में हो रहा सिर्फ 25 फीसदी उत्पादन

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आवाज़ ए हिमाचल 

13 अप्रैल।  हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष कम बारिश और बर्फबारी होने से अप्रैल में ही बिजली उत्पादन 15 फीसदी तक गिर गया है। प्रदेश की बिजली परियोजनाओं में अभी सिर्फ 25 फीसदी उत्पादन हो रहा है। औसतन इस माह में करीब 40 फीसदी बिजली उत्पादन होता रहा है। प्रदेश में गर्मी बढ़ने के साथ ही रोजाना करीब 280 लाख यूनिट बिजली की जरूरत है। इस जरूरत को पड़ोसी राज्यों से बिजली खरीदकर पूरा किया जा रहा है।केंद्रीय शेयर का भी बड़ा सहारा मिल रहा है। आने वाले दिनों में अगर हालात नहीं सुधरे तो ऊर्जा राज्य हिमाचल प्रदेश को बिजली संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। विंटर सीजन के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में पड़ी बर्फ अप्रैल के दौरान पिघलना शुरू होती थी। इससे बिजली परियोजनाओं में उत्पादन बढ़ता था। बीते वर्षों के दौरान अप्रैल में बिजली परियोजनाओं में उत्पादन 35 से 40 फीसदी के बीच रहता रहा है। इस बार बर्फबारी और बारिश कम होने से बिजली परियोजनाओं में उत्पादन सिर्फ 25 फीसदी ही हो पा रहा है। अप्रैल से जून तक बिजली बोर्ड ने पंजाब के साथ 22 लाख यूनिट प्रति दिन के हिसाब से बैंकिंग का करार किया है। प्रदेश को यह बिजली इन दिनों मिल रही है।


जुलाई-अगस्त में इसे पंजाब को लौटाया जाएगा। बिजली बोर्ड ने ओपन टेंडर से दक्षिण भारत की एक कंपनी के साथ भी करार किया है। इस कंपनी से रोजाना 35 लाख यूनिट बिजली की खरीद की जा रही है। केंद्रीय शेयर, निजी कंपनियों से खरीद, अपनी परियोजनाओं के उत्पादन सहित बैंकिंग और खरीद से करीब 234 लाख यूनिट बिजली रोजाना हिमाचल को मिल रही है। प्रदेश में अभी जरूरत 280 लाख यूनिट की है। ऐसे में करीब 50 लाख यूनिट का इंतजाम दैनिक खरीद से किया जा रहा है। बारिश और बर्फबारी कम होने से बिजली उत्पादन जरूर कम हुआ है लेकिन बोर्ड इस कमी को पूरा करने के लिए लगातार प्रयासरत है। प्रदेश में बिजली संकट की स्थिति नहीं आने दी जाएगी।  घाटे पर अंकुश लगाने और बिजली खपत की सही जांच करने के लिए राज्य बिजली बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान विभिन्न उपभोक्त्ता परिसरों में 98 हजार मीटरों को बदला है।

1360 बिजली वितरण उपकेंद्र भी स्थापित किए गए। 831 उपकेंद्रों से बिजली की कम वोल्टेज की समस्या को पूरी तरह से दूर किया गया है। 28 हजार लकड़ी के खंभे भी स्टील के खंभों से बदले गए हैं। हिमाचल सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) और बिजली बोर्ड के अध्यक्ष राम सुभग सिंह ने बताया कि  वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान बोर्ड के घाटे में कमी, बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और विद्युत प्रणाली की विश्वसनीयता में सुधार के उद्देश्य से कई विद्युत प्रणाली सुधार योजनाओं को समय पर पूरा किया गया है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और प्रदेश में कम वोल्टेज की समस्या को दूर करने संबंधी 158 करोड़ ेरुपये लागत की योजना में बोर्ड के कार्यों का प्रदर्शन सराहनीय रहा है। सभी 236 विद्युत उपमंडलों में कंप्यूटरीकृत बिलिंग शुरू की है।

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