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अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला बिलासपुर द्वारा श्री रामानुज संस्कृत महाविद्यालय पंजगाईं में श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकोच्चारण प्रशिक्षण-कार्यशाला के दूसरे दिन श्रीमद्भगवद्गीता के प्रथम एवं द्वितीय अध्याय के श्लोकों के गायन एवं उच्चारण का अभ्यास करवाया गया। इसके साथ महाविद्यालय के छात्रों को सात समूहों में विभाजित किया गया। जिनकी सोमवार को प्रतियोगिता करवाई जाएगी एवं इनमें से पांच छात्रों का चयन भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा हमीरपुर में आयोजित की जाने वाली राज्यस्तरीय महाविद्यालयीय प्रतियोगिता के लिए किया जायेगा। संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य आचार्य श्यामलाल शर्मा ने गीता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीमदभगवद्गीता प्रत्येक स्थिति में जीवनभर मनुष्य का मार्ग प्रशस्त करती है। मनुष्य के जीवन में आने वाले प्रत्येक पड़ाव चाहे वह मानसिक हो, शारीरिक हो, सामाजिक हो, व्यापारिक हो, सुख-दुःख हो इत्यादि में श्रीमदभगवद्गीता ही मनुष्यों को शांति प्रदान करती है। श्रीमद्भगवद्गीता का शाश्वत ज्ञान अखण्ड है। श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व सम्पूर्ण मानव समाज के लिए प्रासंगिक है।
प्रशिक्षक डॉ मनोज शैल ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता ही एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें सृष्टि के सम्पूर्ण आध्यात्मिक पक्षों का समावेश है, जिनको पूर्ण रूप से समझ लेने पर भारतीय चिन्तन का समस्त सार ज्ञात हो सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता ग्रन्थ को ‘प्रस्थानत्रय’ माना जाता है। ‘उपनिषद्’ अधिकारी मनुष्यों के काम की चीज है और ‘ब्रह्मसूत्र’ विद्वानों के काम की, परन्तु श्रीमदभगवद्गीता सभी के काम की चीज है।
ध्यातव्य है कि सोमवार को इस कार्यशाला का समापन होगा। जिसमें बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा तथा छात्रों की श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकोच्चारण की प्रतियोगिता करवाई जायेगी।
समापन समारोह में मुख्य रूप से प्रो.लेखराम शर्मा पूर्व विभागाध्यक्ष गुरुनानकदेव विश्वविद्यालय अमृतसर तथा रेवती सैणी जिलाभाषाधिकारी बिलासपुर उपस्थित रहेंगे।