पूज्य मौनी बाबा कुटिया में ब्रह्म पुराण पर आधारित दुर्लभ सत्संग का हुआ समापन

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आवाज़ ए हिमाचल

21 मई।हमीरपुर के नादौन के समीप फतेहपुर गांव में स्थित पूज्य मौनी बाबा कुटिया क्षेत्र एक आध्यात्मिक केंद्र है,जिसमें समय-समय पर आध्यात्मिक संस्कारों तथा व्यवहारों को केंद्रित करके विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में ब्रह्मपुराण को केंद्रित करते हुए दुर्लभ सत्संग का आयोजन 13 मई से 19 मई के बीच आयोजित किया गया। पूज्य मौनी बाबा कुटिया आध्यात्मिक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. रत्नचंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि विगत सप्ताह ब्रह्मपुराण की दुर्लभ कथाओं का विस्तृत व्याख्यान कुटिया के मंच के माध्यम से किया गया,जिसमें कथाव्यास के रूप में ऋषिकेश हिमालय वाले श्री स्वामी सदाशिव नित्यानंद गिरि जी महाराज उपस्थित रहे।पूज्य मौनी बाबा की कृपा से क्षेत्र के लोगों के लिए यह सुअवसर प्राप्त हुआ। गिरिजी महाराज ने मानव मस्तिष्क की मुख्य जिज्ञासा कि यह संपूर्ण दृश्य जगत किसने बनाया। इसका सम्पूर्ण समाधान ब्रह्मपुराण की सरल कथाओं के माध्यम से समझाया।उन्होंने बताया कि इस प्रपंच के रचनाकार भी स्वयं ब्रह्मा ही हैं। ब्रह्मा के स्वरूप और उनके द्वारा सृष्टि उत्पत्ति के संपूर्ण रहस्य को सरल कथाओं द्वारा प्रतिपादित किया गया। इस उपलक्ष्य पर नादौन के स्थानीय निवासियों सहित चंबा, कांगड़ा, बिलासपुर, शिमला आदि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों से आए हुए भक्तों और श्रद्धालुओं ने कथापान किया।

गीता ही है मोक्ष और शास्त्रज्ञान का मूलभूत आधार

इस दौरान कथाव्यास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से नि:सृत गीता का अध्ययन मोक्ष और शास्त्रज्ञान का मूलभूत आधार है। गीता के अध्ययन से मनुष्य संस्कार युक्त हो जाता है। इस उपलक्ष्य पर जेबीटी अध्यापक सज्जन कुमार की 6 वर्ष की बेटी आराध्या ने गीता के बारहवें अध्याय का कंठ पाठ किया।

आयूष ने बताया चोटी और यज्ञोपवीत का महत्व

हाल ही में संपन्न यज्ञोपवीत संस्कार से संस्कारित हुए 11 द्विजों ने भी 7 दिन तक ब्रह्मपुराण की कथा का पान किया। इस दौरान कथाव्यास और 11 द्विजों के बीच संस्कारों तथा भारतीय परंपराओं के विषय पर गम्भीर चर्चा-परिचर्चा हुई। कथा व्यास के प्रश्नों का उत्तर देते हुए आयूष और कार्तिक शर्मा ने शिखा और यज्ञोपवीत के व्यावहारिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला।

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