आवाज़ ए हिमाचल
पेशावर। पाकिस्तान में मनीषा रुपेता को पहली हिंदू महिला DSP के तौर पर नियुक्त किया गया है। सिंध लोक सेवा की परीक्षा पास करने और प्रशिक्षण हासिल करने के बाद उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।
पाकिस्तान में आम तौर पर महिलाएं पुलिस स्टेशन और अदालतों के अंदर नहीं जाती हैं। इन स्थानों को महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है, इसलिए ज़रूरत पड़ने पर यहां आने वाली महिलाएं पुरुषों के साथ आती हैं। ऐसे माहौल में, मनीषा ने पुलिस बल को ज्वाइन करने का फ़ैसला लिया । उन्होंने कहा कि वह इस धारणा को बदलना चाहती थीं कि अच्छे परिवार की लड़कियां पुलिस स्टेशन नहीं जाती हैं।
सिंध जिले के पिछड़े और छोटे से जिले जाकूबाबाद की मनीषा ने यहीं से अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा हासिल की। मनीषा ने डॉक्टर बनने की कोशिश की थी, लेकिन महज एक नंबर कम होने की वजह से उन्हें MBBS में दाख़िला नहीं मिला था। इसके बाद उन्होंने डॉक्टर ऑफ फिजिकल थेरेपी की डिग्री ली। इस दौरान बिना किसी को बताए वह सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी भी करती रहीं। उन्होंने न केवल इस परीक्षा में कामयाबी हासिल की बल्कि 438 सफल आवदेकों में 16वें स्थान पर रहीं।
उन्होंने बताया, “हमें यह स्पष्ट तौर पर पता है कि कौन सा पेशा महिलाओं के लिए है और कौन सा था। लेकिन मुझे हमेशा पुलिस का पेशा आकर्षित करता रहा और प्रेरित भी करता रहाय़मुझे लगता है कि यह पेशा महिलाओं की स्थिति को सशक्त बनाता है।” उन्होंने मुझे यह भी बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य पुलिस के पेशे को महिलाओं से जोड़ने की कोशिश करना था।
स्वतंत्र रूप से डीएसपी का प्रभार संभालने से पहले मनीषा ने कराची के सबसे मुश्किल इलाके ल्यारी में ट्रेनिंग ली है। इस इलाके में पुलिस विभाग में ऑफ़िसर बनने वाली मनीषा पहली महिला हैं। उन्होंने ASP आतिफ अमीर की निगरानी में प्रशिक्षण लिया।
अमीर का मानना है कि महिला पुलिस ऑफ़िसर की संख्या बढ़ने से पुलिस विभाग की छवि बदलने में मदद मिलेगी। मनीषा ने हमें यह भी बताया कि उनके समुदाय के लोगों का मानना है कि वह लंबे समय तक इस नौकरी में टिक नहीं पाएगी।