आवाज़ ए हिमाचल
14 सितम्बर । मणिमहेश यात्रा का शाही स्नान सोमवार 13 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 11 मिनट पर आगाज हुआ। इस बार राधा अष्टमी के शाही स्नान का शुभ मुहूर्त दोपहर बाद 3 बजकर 11 मिनट पर शुरू हुआ, जो मंगलवार दोपहर एक बजकर 10 मिनट तक रहेगा। शाही स्नान के शुभ मुहूर्त शुरू होने से पहले डल झील पर चरपटनाथ चंबा की छड़ी, दशनामी अखाड़ा की छड़ी, संचूई के शिव चेले एक साथ पवित्र मणिमहेश डल झील में एकत्रित होते हैं और झील की परिक्रमा कर डल तोड़ते हैं। जिसे देखने के लिए भारी संख्या में शिव भक्त उस पल का इंतजार करते हैं। कोविड महामारी के कारण डल झील में ज्यादा श्रद्धालु नहीं थे।
लेकिन जो श्रद्धालु थे, उन्होंने पूरे जोश के साथ मणिमहेश के जयकारे लगाए। डल झील की परिक्रमा करने के बाद भगतजन शिव गूर को कंधों पर उठाकर झील से बाहर लाते हैं। त्रिलोचन महादेव के वंशज शिव चेले दो दिन पहले ही भरमौर स्थित चौरासी मंदिर परिसर में बैठ गए थे और यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अपना आशीर्वाद दे रहे थे। रविवार सुबह 11:00 बजे पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यह चेले मणिमहेश के लिए रवाना हुए थे। धनछो में रात्रि ठहराव के बाद सुबह यह शिव गूर मणिमहेश के लिए निकल गए। आज दोपहर बाद डल झील की परिक्रमा कर राधा अष्टमी के शाही स्नान का शुभारंभ किया।
मान्यता है कि राधाष्टमी का शुभ मुहूर्त शुरू होते ही पवित्र डल झील का पानी एकदम बढ़ना शुरू हो जाता है। शिव भक्त हर-हर महादेव के जयकारों के साथ डल झील में डुबकी लगाते हैं। इसके बाद शिवभक्त चतुर्मुखी शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं। यात्रा पर गए श्रद्धालु पवित्र डल झील का जल, प्रसाद के तौर पर अपने साथ लेकर घर लौटते हैं। महामारी कोरोना के चलते बीते वर्ष की तरह इस बार भी प्रशासन की ओर से धार्मिक रस्म के निर्वहन तक सीमित मणिमहेश यात्रा में सीमित लोगों को ही जाने की अनुमति दी गई है। जम्मू कश्मीर के डोडा किश्तवाड़ सहित अन्य जिलों से यात्रा पर आए श्रद्धालुओं के जत्थे सहित कई अन्य भक्त राधा अष्टमी के पवित्र स्नान के लिए मणिमहेश पहुंच गए हैं।