आवाज ए हिमाचल
शिमला। जलवायु परिवर्तन के कारण हिमाचल में स्नोफॉल पैटर्न में बदलाव आया है। सर्दियों के मौसम में जहां प्रदेश का एक तिहाई हिस्सा बर्फ से ढका रहता था, वहीं अब सर्दियों के मौसम में कम बर्फबारी हो रही है। इसके कारण सर्दियों में पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान मैदानी क्षेत्रों से ज्यादा बढ़ रहा है। इसके कारण ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं। हिमाचल प्रदेश काउंसिल फॉर स्टेट टेक्रोलॉजी एंड एनवायरमेंट के सरंक्षण में काम करने वाले स्टेट सेंटर ऑफ क्लाइमेट चेंज द्वारा किए गए एक आकलन में यह खुलासा हुआ है और ऐसा ही जारी रहा, तो प्रदेश को पानी की कमी का सामना कर पड़ सकता है। स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज द्वारा अक्तूबर माह से लेकर अप्रैल महीने तक हिमाचल में बर्फबारी के ट्रेंड की मैपिंग की गई है। प्रदेश की विभिन्न नदी घाटियों में एडब्ल्यूआईएफएस सेटेलाइट के माध्यम से यह मैपिंग की गई है। इनमें मुख्य रूप से चंद्रा, भागा, मियार, ब्यास, पार्वती, जीवा, पिन, स्पीति और बासपा नदी घाटियों को लिया गया है।
इस आकलन के मुताबिक वर्ष 2022-23 में अक्तूबर माह के दौरान वर्ष 2021-22 के मुकाबले चिनाब घाटी के स्नोकवर में 36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। रावी घाटी में 54 प्रतिशत, सतलुज घाटी में 27 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि ब्यास घाटी के स्नोकवर में तीन प्रतिशत की हल्की बढ़ोतरी हुई है। नवंबर महीने में चिनाब घाटी में वर्ष 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ब्यास घाटी में 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई हैं, जबकि रावी में तीन प्रतिशत और सतलुज घाटी में 22 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। दिसंबर महीने में सतलुज घाटी में 56 प्रतिशत और चिनाब घाटी में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी महीने में चिनाब घाटी में स्नोकवर पांच प्रतिशत ब्यास में 16 प्रतिशत रावी में तीन प्रतिशत और सतलुज में 38 प्रतिशत कम हुआ है। इसी तरह से फरवरी महीने में चिनाब घाटी में चार प्रतिशत, 32 प्रतिशत ब्यास घाटी, 13 प्रतिशत रावी घाटी और 17 प्रतिशत की गिरावट सतलुज बेसिन में आई है। मार्च महीने में भी इसी तरह के ट्रैंड देखने को मिले हैं। मार्च में चिनाब घाटी में दो प्रतिशत, ब्यास घाटी में पांच प्रतिशत, रावी घाटी में सात प्रतिशत और सतुलज घाटी में चार प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।