आवाज ए हिमाचल
18 फरवरी। गाेस्वामी गणेशदत्त सनातन धर्म महाविद्यालय राजपुर के संस्थापक, महान शिक्षाविद एवं महान दार्शनिक पंडित अमर नाथ शर्मा की 32वीं पुण्य तिथि पर काॅलेज में श्रद्धांजलि समाराेह का अायाेजन किया गया।इस दाैरान पंडित अमरनाथ शर्मा सनातन धर्म विद्यालय बैजनाथ के परिसर में स्थापित माता तारा देवी मंदिर में हवन यज्ञ का अायाेजन भी किया गया। इसमें क्षेत्र के अनेक लाेगाें शामिल रहे और उन्होंने पं. अमरनाथ शर्मा को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सनातन धर्म महाविद्यालय राजपुर के निदेशक एवं प्राचार्य डाॅ. विवेक शर्मा ने अमरनाथ शर्मा की जीवनी के बारे में बारे में बताया। उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षा की अलख जगाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
इनका जन्म फरवरी 1898 को सरगोधा (अब पाकिस्तान) में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ। पंडित अमरनाथ शर्मा के पिता पं. महादेव शर्मा नहर विभाग में पटवारी थे। माता सरस्वती देवीधार्मिक विचारों वाली महिला थी। चार बहनों तथा पांच भाईयों में सबसे बड़े पं. अमरनाथ शर्मा के पिता की परम इच्छा थी कि उनका पुत्र शिक्षा प्राप्त कर सरकारी नौकरी करके परिवार का सहारा बने। देश की परतंत्रता पंडित जी के हृदय में निरंतर चुभती थी, यही कारण था कि उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर मेडिकल स्कूल की शिक्षा छोड़कर स्वतंत्रता आंदाेलन में कूद पड़े।
उन्हाेंने बताया कि कांगड़ा जिला की भौगोलिक परिस्थितियां, ऊंचे नीचे पहाड़, गहरी घाटियां, नदी नाले, यातायात के सीमित साधन एक गंभीर चुनौती थीं। परंतु दृढ़ संकल्पी, निष्काम समाजसेवी पूज्य पं. अमरनाथ शर्मा सनातन धर्मी कार्यकर्ताओं के साथ अपने परम पूज्य गुरू एवं मार्गदर्शक त्याग मूर्ति गोस्वामी गणेशदत्त महाराज का आशीर्वाद प्राप्त कर शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार में पर्दापण किया।