आवाज ए हिमाचल
मंडी, 15 जुलाई। हिमाचल प्रदेश के मंडी जनपद में श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक सरकारी नहीं बल्कि नीजि भूमि पर बना हुआ है। इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब जमीन के असली मालिक के हाईकोर्ट में केस जीतने के बाद अब जमीन के बदले मुआवजा अदा करने के लिए हाईकोर्ट (High Court) में ही इजराय याचिका दायर की। याचिका 12 जुलाई को दायर की गई है। जमीन का असली मालिक मीर बख्श है वो नेरचौक का ही रहने वाला है। मीर बख्श ने 92 बीघा भूमि के बदले 10 अरब 61 करोड़ 57 लाख 11 हजार 431 रूपए मुआवजे की मांग की है।
नेरचौक में जिस जमीन पर मेडिकल कॉलेज बना है,वो जमीन मीर बख्श के पूर्वजों की थी। राज्य सरकार ने सोचा कि मीर बख्श के पूर्वज सुलतान मोहम्मद विभाजन के दौरान पाकिस्तान (Pakistan) चले गए और जमीन को कब्जे लेकर पर कब्जा करने के बाद विभागों को बांट दिया। जबकि सुलतान मोहम्मद की मृत्यु वर्ष 1983 को हिमाचल में ही हुई थी। ऐसे में इन्हें विस्थापित नहीं माना जा सकता। दस्तावेजों और पुराने रिकॉर्ड के आधार पर ही मीर बख्श ने इस केस को जीता है।
हाईकोर्ट ने सुनाया जमीन के बदले जमीन
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को मीर बख्श को जमीन के बदले जमीन देने का आदेश दिया हुआ है। मीर बख्श की 92 बीघा जमीन पर सरकार ने कब्जा करके मेडिकल कॉलेज, एसडीएम कार्यालय और कुछ अन्य विभागों के कार्यालय खोल रखे हैं। ऐसे में हजारों करोड़ की लागत से बने इन भवनों को हटाकर जमीन खाली करवाना संभव नहीं। लिहाजा हाईकोर्ट ने मीर बख्श को जमीन के बदले जमीन देने का आदेश सुना रखा है। प्रदेश सरकार के आदेशों पर मंडी प्रशासन भी जमीन की तलाश कर रहा है, लेकिन कहीं पर भी इतनी बड़ी संख्या में जमीन उपलब्ध नहीं है। जहां पर प्रशासन जमीन उपलब्ध करवा रहा है वो मीर बख्श को मंजूर नहीं है।
जमीन नहीं तो 10 अरब मुआवजा दो
जमीन के बदले जमीन न मिलता देख अब मीर बख्श ने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और इजराय याचिका दायर करके जमीन के बदले मुआवजे की मांग की है। मीर बक्श ने 10 अरब से ज्यादा का मुआवजा मांगा है। मीर बख्श ने दलील दी है कि नेरचौक में जो उसकी जमीन है उसकी मौजूदा कीमत 15 लाख रूपए प्रति बिस्वा है। ऐसे में 92 बीघा जमीन के बदले 10 अरब 61 करोड़ 57 लाख 11 हजार 431 रूपए का मुआवजा बनता है। मीर बख्श की इस याचिका पर हाईकोर्ट में अभी सुनवाई होनी है।