संजौली के एचएम संस्थान पर 25 लाख रुपए का जुर्माना
आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 18 फरवरी। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की हजारों बैचलर इन होटल मैनेजमेंट (बीएचएम) डिग्रियां अवैध करार दे दी गई हैं। एचपीयू प्रशासन ने नया कारनामा करते हुए यूजीसी के नियमों को दरकिनार कर 4 वर्ष की बीएचएम डिग्री को 3 वर्ष में ही पूरा करवा दिया। निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने शिकायतों के आधार पर की गई जांच में इस बड़ी गड़बड़ी को पकड़ा है।
वहीं, निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने शिमला के संजौली स्थित हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ होटल एंड टूरिज्म संस्थान पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। फीस स्ट्रक्चर में गड़बड़ी के आरोप में आयोग की अदालत ने जुर्माना लगाया है। संस्थान को एक माह के भीतर जुर्माना राशि जमा करवाने को कहा है। सुनवाई के दौरान संस्थान एचपीयू से मंजूर फीस स्ट्रक्चर की लिखित में कोई जानकारी नहीं दे पाया।
यूजीसी और तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालय को भी आयोग ने मामले से अवगत करवा दिया है। एचपीयू के अलावा प्रदेश के 4 निजी कॉलेजों में भी नियमों के खिलाफ इन डिग्रियों को दिया गया है। पूरे प्रदेश में करीब 3 हजार डिग्रियां अब संदेह के घेरे में आ गई हैं।
यूजीसी की अधिसूचना नंबर एफ 5-1/2013 (सीपीटी-2) दिनांक 5 जुलाई 2014 के अनुसार बीएचएम डिग्री चार वर्ष की होती है। वर्ष 2015 में एचपीयू प्रशासन ने यह डिग्री शुरू की, लेकिन लापरवाही बरतते हुए इन डिग्रियों को 4 वर्ष बाद देने की जगह 3 वर्ष में ही दे दिया। इसके अलावा एचपीयू ने 4 कॉलेजों को भी बीएचएम सहित बीएससी एचएम और बीएचएम केटरिंग करने को मान्यता दी है।
इन कॉलेजों में भी 4 वर्ष की डिग्री को 3 वर्ष में पूरा करवा दिया। आयोग ने मामला पकड़ में आने के बाद एचपीयू सहित निजी चार कॉलेजों से इन डिग्रियों की मान्यता, डिग्री अवधि और फीस स्ट्रक्चर की जानकारी मांगी है। एचपीयू की इस लापरवाही से बीएचएम डिग्री पाकर नौकरियां कर रहे हजारों युवाओं का भविष्य संकट में आ गया है।
निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग के अध्यक्ष अतुल कौशिक का कहना है कि एचपीयू प्रशासन से 4 वर्ष की डिग्री को 3 वर्ष तक ही क्यों करवाने को लेकर जवाबतलबी की है। आयोग की जांच में बीएचएम की अभी तक जारी तीन वर्ष की डिग्रियां अवैध हैं।
वहीं, एचपीयू ने आयोग को अब डिग्रियां वैध करवाने के लिए एक वर्ष का ऑनलाइन कोर्स करवाने का तर्क दिया है। आयोग के अधिकारियों ने बताया कि मौखिक तौर पर एचपीयू के अधिकारियों ने गलती मानी है। आयोग ने पूरे मामले पर एचपीयू प्रशासन से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है।