आवाज़ ए हिमाचल
12 जनवरी। रेलवे रेगुलर ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चला रहा है। पहले के मुकाबले यात्रियों को स्लीपर से लेकर थर्ड एसी तक में पांच सौ रुपये तक अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। महंगा किराया यात्रियों के लिए मुसीबत बन गया है। गत मार्च में कोरोना संक्रमण के चलते रेलवे ने ट्रेनों का संचालन पूरी तरह बंद कर दिया था। इसके बाद जून से रेलवे ने देश भर में 200 ट्रेनों का संचालन शुरू किया। खास बात यह है कि जो रेगुलर ट्रेनें पटरी पर दौड़ रही थीं, उन्हें रेलवे ने स्पेशल ट्रेन बनाकर चलाना शुरू कर दिया। इसी बीच रेगुलर ट्रेनें बढ़ीं, लेकिन रेलवे उन्हें स्पेशल के रूप में ही चलाता रहा।रेलवे ने फेस्टिवल स्पेशल गाड़ियों को भी हरी झंडी दे दी। साथ ही क्लोन ट्रेनें भी चलाईं। मगर इनका भी किराया अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों से अधिक है। हद तो यह है कि अब जब कोई त्योहार नहीं है, फिर भी फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें दौड़ रही हैं। वहीं, महंगे किराए को लेकर यात्री परेशान हैं।
इसलिए महंगा है किराया
रेलवे अधिकारियों की दलील है कि ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चला रहे हैं। फिर क्लोन और पूजा स्पेशल ट्रेनें भी हैं, जिनका किराया सामान्य से अधिक ही रहता है। इतना ही नहीं इनसे रेलवे को 198000 करोड़ रुपये की सालाना आय होती है, जिसमें 35000 करोड़ यात्री ट्रेनों और शेष मालगाड़ियों से आता है। लेकिन कोरोना के चलते वित्तीय वर्ष की आमदनी चौपट हो गई है, इसलिए रेलवे को रेगुलर ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चलाना पड़ रहा है।
यात्री सुविधाओं में भी हो रही कटौती
ऐसा नहीं है कि रेलवे सिर्फ महंगा किराया ही वसूल रहा है, बल्कि यात्री सुविधाओं में भी धीरे-धीरे कटौती की जा रही है। इसी क्रम में रेलवे में सीनियर सिटीजन कोटे में कटौती कर दी, जबकि पहले यह सुविधा दी जा रही थी।मेमू, पैसेंजर ट्रेनों के संचालन को भी हरी झंडी नहीं दी जा रही है, इससे एमएसटी धारकों के लिए समस्याएं खड़ी हो गई है। यूटीएस काउंटर से टिकट बंद है, जिससे श्रमिकों को रिजर्वेशन वाले टिकट बनवाने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं वेटिंग रूम में भी बैठने के लिए यात्रियों से दस रुपये लेने की तैयारी है।