आवाज़ ए हिमाचल
17 फरवरी। निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने निजी विश्वविद्यालयों पर शिकंजा कस लिया है। नया कोर्स शुरू करने के लिए अब नियमों में बड़ा बदलाव किया है। यदि कोई विश्वविद्यालय नया कोर्स या फिर पीएचडी प्रोग्राम शुरू करना चाहता है तो इसकी अनुमति उन्हें सीधी नहीं मिलेगी। नियामक आयोग इसके लिए पहले एक्सपर्ट टीम को गठित करेगा। इसमें सब्जेक्ट एक्सपर्ट भी शामिल होंगे। टीम संस्थान का दौरा कर वहां पर सुविधाओं, लैब, लाइब्रेरी व उसमें मौजूद किताबों सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का जायजा लेगी। उसके बाद अपनी रिपोर्ट आयोग को भेजेगी। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन को आयोग के समक्ष अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया जाएगा।
जेंटेशन में पांच चीजों को देखा जाएगा। इसमें पहले यह देखा जाएगा कि जिन कोर्स को चलाने के लिए वे आवेदन कर रहे हैं, उसकी क्या वजह है, स्नातक स्तर पर उनके जो कोर्स चल रहे हैं उसमें पांच साल में कितने विद्यार्थी पासआउट हुए हैं। क्या मार्केट में कोर्स करने वाले विद्यार्थियों की डिमांड है। इसके अलावा शिक्षक कितने हैं, उनकी शैक्षणिक योग्यता, आयु और अनुभव क्या है। उन्हें यूजीसी नियमों के मुताबिक वेतन का भुगतान किया जा रहा है।विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति को भी देखा जाएगा कि क्या उसके पास इतने संसाधन हैं कि वह उन कोर्स को चला सकता है। यदि पीएचडी कार्यक्रम शुरू करना है तो यह बताना होगा कि कितने विद्यार्थी उस विषय में स्नातकोत्तर हैं। पूरी जांच पड़ताल के बाद भी आयोग पहले केवल कंडिशनल अप्रूवल (सशर्त मंजूरी) देगा। कंडिशनल अप्रूवल में देखा जाएगा कि यह कोर्स किस तरह चल रहे हैं। यदि इसमें कोई शिकायत नहीं आती तभी इन कोर्स को चलाने के लिए रेगुलर अप्रूवल दी जाएगी।
आयोग ने किया नियमों में बदलाव
हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के अध्यक्ष अतुल कौशिक का कहना है निजी विश्वविद्यालयों की तरफ से नए कोर्स शुरू करने के लिए आवेदन आ रहे हैं। आयोग ने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। विश्वविद्यालयों को इस संबंध में सर्कुलर भेजकर सूचित कर दिया गया है।