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यशपाल ठाकुर, परवाणू। परवाणू नगर परिषद में वार्ड कमेटियो का गठन न होने की समाजसेवी सतीश बेरी की शिकायत पर विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता का दावा है की वार्ड कमेटियो का गठन न होने पर सरकार को अधिकार है की वह सभी पार्षदों की सदस्यता रद्द कर सकती है। यदि शिकायतकर्ता के दावे के अनुसार ऐसा होता है तो इसका प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों पर असर पड़ेगा, क्यूंकि प्रदेश में शायद ही कोई स्थानीय निकाय है, जिसमे कायदे से वार्ड कमेटियो का गठन किया गया हो। जानकारी के अनुसार परवाणू के समाजसेवी सतीश बेरी ने शिकायत की है की नगर परिषद कानून 1994 के चैप्टर चार की धारा (15 ए से 15 जे) के अंतर्गत नप के गठन के 6 माह के अन्दर वार्ड कमेटियो का गठन अनिवार्य होता है। इन नियमों का उल्लंघन करने पर चैप्टर 18 के नियम (एच) के अंतर्गत पार्षदों की सदस्यता रद्द की जा सकती है। उनकी शिकायत पर विभाग ने उपमंडल अधिकारी (नागरिक) को जांच के लिए निर्देश दिए है। उप मंडल अधिकारी ने भी जांच पूरी करके रिपोर्ट आगे भेज दी है। उधर, एडीसी सोलन ने भी नप के कार्यकारी अधिकारी को इस सम्बन्ध में जांच कर अपनी रिपोर्ट सात दिनों के अन्दर भेजने को कहा है।
अब यह देखना रोचक होगा की विभाग इस पर क्या कार्रवाई करता है। यदि परवाणू के पार्षदो की सदस्यता रद्द होती है तो यह निर्णय प्रदेश की सभी स्थानीय निकायों पर असर डालेगा, ऐसे में प्रदेश की सभी स्थानीय निकायों के पार्षदों की सदस्यता रद्द हो सकती है। इसके चलते सभी निकायों में दोबारा चुनाव करवाने पड़ सकते है, जोकि सरकार की वर्तमान वित्तीय हालत के चलते संभव नहीं लग रहा है।
कार्यकारी अधिकारी अनुभव शर्मा का कहना है की पार्षदों को पहले वार्ड सभा का आयोजन करना होता है, जिसमें वार्ड समितियों का गठन होता है। इस बारे पहले भी पार्षदों को पत्र जारी किया गया था। अब फिर से रिमाइंडर भेजा जा रहा है।
इस बारे शहरी विकास विभाग के निदेशक गोपाल शर्मा का कहना है की नगर परिषद एक्ट में कई तरह के प्रावधान है। उन्हें ध्यान से देखे जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा की इस मामले में वह स्वयं फोकस करेंगे। इस बारे जो भी निर्णय होगा वो सभी स्थानीय निकायों पर लागू होगा।