आवाज ए हिमाचल
29 जनवरी। चुनाव आयोग द्वारा कुछ शिक्षक कर्मियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर अपनी सेवा से सस्पेंड करने पर हिमाचल राजकीय अध्यपक संघ लाल हो गया है। शिक्षक कर्मचारियों की सस्पेंशन को गैर कानूनी बताते हुए संघ के राज्य अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान, महामंत्री शाम लाल हांडा व चेयरमैन सचिन जसवाल ने कहा है कि शिक्षा विभाग के टीचिंग और नॉन टीचिंग कर्मचारी विभाग का कार्य मेहनत से करते हुए चुनाव आयोग के कार्य को ईमानदारी से करते हैं।
यही नहीं, पंचायत स्तर के चुनावों में तो शिक्षक हजारों प्रत्याशियों के नाम भी दो या तीन दिन के भीतर रात रात भर जाग कर वेलेट पेपर पर लिखते हैं। यही नही, बिना खाये पिये सुबह 6 बजे अपने चुनाव आयोजन होने वाले बूथ पर पहुंच कर दिन भर चुनाव संचालन कर रात को एक या दो बजे जा कर चुनावी गणना करवा कर फ्री होते हैं। सारा सामान खुद के कंधे पर उठा कर कर्मचारी बूथों पर पहुंचते हैं। ऐसे में कई जगह छोटी मोटी अगर गलती हो जाती है तो चुनाव के लिउ नियुक्त प्रभारी इसका सारा जिम्मा चुनावी टीम के सिर फोड़ देते हैं।
ऐसे में चुनाव के समय प्रदत्त विशेष शक्तियों का दुरप्रयोग अधिकारियों द्वारा जम कर किया जाता है व चुनाव कार्यप्रणाली के बहाने इन अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित करने की भी कोशिश की जाती है। अतः शिक्षकों को कार्रवाई के नाम पर सस्पेंड करना गलत बात है। उनकी बात सुनी जानी चाहिए। विभाग को उन कारणों का पता लगाना चाहिए जिन के कारण कर्मचारी से गलती होने का अंदेशा रहता है। और इन के निदान कर चुनाव में व्यस्त कर्मचारियों को राहत प्रदान करनी चाहिए ताकि ये प्रक्रिया सुचारु रूप से संपन्न की जा सके। अन्यथा कर्मचारी डर कर कार्यवाही के कारण इस लाजमी ड्यूटी को करने से कतराते हैं।संघ के नेताओं ने कहा कि चुनावी कर्मचारियों द्वारा कांगड़ा सहित अन्य जिलों से भी अपने उच्च अधिकारियों के द्वारा किए जा रहे दुरव्यवहार और निरंकुशता की शिकायतें की गई थी, परंतु अधिकतर जिलाधीशों, उप मंडलाधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों द्वारा कूड़े के ढेरों में ये शिकायतें डाल दी गईं, जबकि अपनी ओर से ईमानदार कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार चला दी। यह सरासर गलत बात है।