आवाज़ ए हिमाचल
न्यूयार्क। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमरीका में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ग्लोबल नॉर्थ की हिप्पोक्रेसी पर जमकर निशाना साधा है। जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय मंच से कहा कि यह दुनिया अब भी डबल स्टैंडर्ड वाली है। जयशंकर ने कहा कि जो देश प्रभावशाली स्थिति में हैं यानी जिनके पास ताकत है, वे बदलाव को तैयार नहीं हैं और जो देश ऐतिहासिक रूप से प्रभावशाली हैं, उन्होंने अपनी कई क्षमताओं का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। एस जयशंकर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थानीय मिशन, संयुक्त राष्ट्र भारत और रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ (ओआरएफ) की ओर से आयोजित ‘दक्षिण का उदय: साझेदारियां, संस्थाएं एवं विचार’ शीर्षक वाले मंत्रिस्तरीय सत्र में हिस्सा लिया। उन्होंने यहां कहा कि मुझे लगता है कि बदलाव के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति के बजाय राजनीतिक दबाव है। उन्होंने कहा कि दुनिया में इस प्रकार की भावना बढ़ रही है और ‘ग्लोबल साउथ’ एक तरीके से इसे प्रतिबिंबित करता है, लेकिन इसका राजनीतिक प्रतिरोध भी हो रहा है। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल उन विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमरीका में स्थित हैं। इस दौरान जयशंकर जी-20 शिखर सम्मेलन की भी जिक्र किया । उन्होंने कहा कि बहुत से लोग इस बात से आश्चर्यचकित थे कि भारत सभी को इस साथ कैसे लेकर आया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि उन्हें इसकी उम्मीद थी। कुछ ऐसे लोग भी होंगे जो अभी भी सोच रहे होंगे कि ये कैसे मुमकिन हुआ?
जयशंकर ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता करना काफी चुनौतीपूर्ण था। इस समय दुनिया में पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण चल रहा है। वहीं उत्तर-दक्षिण देशों के बीच विभाजन की रेखा खिंची है। ऐसे में सभी को साथ लाकर एक एजेंडे पर बात करना आसान नहीं था। वहीं यूएनजीए के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि जी-20 में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल कर भारत ने इतिहास रचा है।