दिव्यांग महिलाओं एवं लड़कियों के साथ यौन हिंसा के मामलों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने जारी कई निर्देश

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आवाज ए हिमाचल

28 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग महिलाओं एवं लड़कियों के साथ यौन हिंसा के मामलों पर चिंता जताते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली को दिव्यांगजन के और अनुकूल बनाने के लिए मंगलवार को कई निर्देश जारी किए।शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत में दिव्यांग महिलाओं एवं लड़कियों के लिए हिंसा का खतरा आम बात हो गई है, जिसके कारण उनके आजादी से घूमने की संविधान प्रदत्त स्वंतत्रता छिनती है और सक्रिय और खुशहाल जीवन जीने की उनकी क्षमता पर असर पड़ता है।

कोर्ट ने कहा कि हिंसा के खतरे के कारण बेबसी और चीजों के नियंत्रण में न होने की भावना परेशान कर सकती है, जिसके कारण संविधान में किए गए वादों को दिव्यांग महिलाओं के लिए पूरा करने की संभावना क्षीण होती है।जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि इस संबंध में कानून की किताबों में किए गए बदलाव अहम कदम हैं, लेकिन अभी काफी काम किया जाना शेष है।कोर्ट ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो को लिंग आधारित हिंसा संबंधी अलग-अलग आंकड़े एकत्र करने की संभावना पर गंभीरता से विचार करने के लिए कहा है।उसने कहा कि आंकड़े जमा करने के लिए एक आधार दिव्यांगता होनी चाहिए ताकि इस समस्या की गंभीरता पता चल सके और उससे निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें।

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