आवाज ए हिमाचल
21 फरवरी, पालमपुर:सीटू ज़िला कांगड़ा सचिवालय की बैठक आज वीरवार 21 फरवरी को सम्पन्न हुई जिस मे सांगठनिक मुद्दो के अलावा ज़िला मे श्रम कानूनों की लगातार हो रही अवेहलना व श्रम विभाग की निष्क्रियता पर गंभीर चिंतन किया गया ।
सीटू के ज़िला प्रधान केवल कुमार ज़िला सचिव रविन्द्र कुमार व ज़िला वित सचिव अशोक कटोच ने आज जारी एक प्रैस नोट मे आरोप लगाया कि ज़िला में मजदूरों का शोषण हो रहा है, उन्हे देश व प्रदेश मे लागू श्रम कानूनो के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों से बंचित रखा जा रहा है ।
मजदूरों को प्रदेश सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन भी नही दिया जा रहा लेकिन ज़िला मे श्रम विभाग कुम्भकरणी नींद सोया हुआ है । उन्होने बताया कि दरगेला के कांगड़ा हर्ब मे कार्यरत श्रमिको को 2500 से 3000 रू मासिक वेतन दिया जाता है ।
इसकी शिकायत तीन महीने पहले श्रम विभाग को की गयी थी लेकिन इस पर कार्यवाही करने और न्यूनतम वेतन न देने के लिए दोषी प्रबन्धन के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू करने की वजाय श्रम विभाग समझौता वार्ता बुला रहा है और समझौता वार्ता के लिए पेशी वाले दिन श्रम विभाग वार्ता स्थगित कर देता है।
इस से न्याय पाने की आशा मे धर्मशाला आने वाले श्रमिक न केवल मायूस होते है बल्कि उन्हे अनावश्यक खर्च भी वहन करना पड़ता है । सीटू नेताओं ने मांग की है कि श्रम विभाग अपना रवैया बदले और श्रम कानूनों की अनुपालना सुनिश्चित करे । उन्होने कहा कि कांगड़ा हर्ब मे न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की अवेहलना की शिकायत किये हुए तीन महीने से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है लेकिन श्रम विभाग के अधिकारियों ने न तो कांगडा हर्ब का निरिक्षण किया है न ही श्रमिको को न्यूनतम वेतन की अदायगी सुनिश्चित करवाई है ।
इन्होंने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि श्रम कानून लागू करवाने की शिकायतों के मामले मे श्रम विभाग समझौता वार्ता बुलाने की जगह सीधे कानूनी प्रक्रिया अपनाता और श्रम कानूनो की अनुपालना सुनिश्चित करता।
सीटू ने चेतावनी दी है कि श्रम विभाग का लेट लतीफी का यह रवैया कायम रहता है तो सीटू श्रम कार्यालय पर धरना देने को वाध्य होगा ज़िसका सारा दायित्व श्रम विभाग के अधिकारियों पर होगा ।