आवाज़ ए हिमाचल
25 दिसम्बर। टिकरी बॉर्डर समेत दिल्ली की अन्य सीमाओं पर लगातार चौथे दिन भी किसानों की भूख हड़ताल जारी रही। टीकरी बॉर्डर पर गुरुवार को जींद के भूराराम धिमाणा, हिसार से खुरजाराम, दादरी से देशराज, रोहतक से ललित, फरीदाबाद से काका सिंह, भूपेन्द्र सिंह, उधम सिंह, गुरलाल सिंह, गुरुचंद्र सिंह, संसार सिंह और हरवीर सिंह भूख हड़ताल पर बैठे रहे। शुक्रवार को 11 महिलाएं भूख हड़ताल पर बैठेंगी। भारतीय किसान यूनियन (घासीराम नैन) के प्रधान चौधरी जोगेन्दर नैन ने बताया कि शुक्रवार को 11 महिलाएं भूख हड़ताल पर बैठेंगी। देर रात भूख हड़ताल पर बैठने वाली महिलाओं के नाम तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि संगठन की ढेरों महिलाएं भूख हड़ताल पर बैठने को आतुर हैं। जिनको भी मौका मिलेगा पूरा दिन वह उपवास रखेंगी। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को समाप्त करने की घोषणा नहीं करेगी, तब तक लगातार भूख हड़ताल जारी रहेगी। गुरुवार को टिकरी बॉर्डर पर जो लोग भूख हड़ताल पर बैठे थे, उनमें अधिकतर बुजुर्ग शामिल थे। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में इन बुजुर्गों के लिए उपवास रखना खतरनाक हो सकता है। लेकिन किसान आंदोलन में आए किसान जान की परवाह किये बगैर यहां पर डटे हुए हैं।
कर्नाटक, ओडिशा और बिहार से भी समर्थन
टिकरी बॉर्डर पर देश के कोने-कोने से किसान और सामाजिक संगठन आकर तीनों कृषि कानूनों की खिलाफत करते दिखे। गुरुवार को कर्नाटक, ओडिशा, बिहार से आकर लोगों ने किसानों को समर्थन दिया। टिकरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या कई गुना बढ़ चुकी है। इसे यहां पहुंचकर देखा जा सकता है। शाम को लगभग चार बजे मंच से किसानों की दहाड़ जारी थी। मंच का आकार पहले की तुलना में तीन गुना बड़ा हो गया है। जहां पर झारखंड अखिल भारतीय किसान संगठन के लोग किसानों के समर्थन में और सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए थे। एक संगठन ने अपनी बात पूरी की तो उड़ीसा क्रांतिकारी महिला संगठन ने अपनी बात शुरू की। महिला संगठन से सती दास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की खिलाफत की।
उन्होंने कहा कि जिसे यकीन न हो वह टिकरी बॉर्डर आकर देखे, कि यहां पर पूरे देश के किसान इकट्ठा हैं और वह काले कानूनों का विरोध कर रहे हैं। सरकार भाजपा कार्यकर्ताओं को बुलाकर कानूनों का समर्थन करने की झूठी राजनीति कर रही है। समय कम होने का हवाला देते हुए उन्होंने अपनी बात समाप्त की, तो कर्नाटक महिला संगठन ने मोर्चा संभाल लिया। यह सिलसिला लगातार पांच बजे तक जारी रहा। जबकि पहले यहां चार बजे भाषणबाजी का सिलसिला थम जाता था।बैरीकेडिंग के दूसरी तरफ पुलिस ने पहरा और बढ़ा दिया है। बैरिकेडिंग के अलावा सड़क पर बड़े पत्थर रखकर तीन जगह पर बंद कर दिया गया है। पुलिस के ट्रक सड़क पर मिट्टी डालकर दिल्ली जाने की सभी संभावनाओं को बंद कर दी है। केवल किसानों का मंच ही नहीं, टिकरी बॉर्डर पर पुलिस का टेंट भी पहले की अपेक्षा लगभग चार गुना बड़ा हो गया है।